परेशान जनता ने बिजली घर का किया घेराव, जमकर की नारेबाजी

Gaurav Sharma
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सीहोर, अनुराग शर्मा। बड़े बिजली के बिलों और अघोषित लाइट कटौती से परेशान शहर के मंडी क्षेत्र की जनता ने मंगलवार को जुलूस की शक्ल में एकजुट होकर बिजली कंपनी के ऑफिस का घेराव किया। इस मौके पर जमकर नारेबाजी भी की गई। बड़े बिजली के बिलों को लेकर जनता में आक्रोश देखा गया। वहीं परेशान जनता ने बिजली कंपनी के अधिकारियों को जमकर खरी खोटी सुनाई। आकलिक खपत को लेकर भी नागरिकों में आक्रोश देखा गया।

मंडी क्षेत्र के निवासियों ने बताया कि मंडी क्षेत्र की सप्लाई बार बार कट जाने से बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कोविड-19 की वजह पहले से ही रोजगार पूरा चौपट हो रहा है और उस पर विद्युत मंडल द्वारा बार-बार बिजली की सप्लाई बंद कर दी जाती है, जिससे छोटे-मोटे दुकानदारों को अपने कारोबारओं को संचालित करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। उस पर भी विद्युत मंडल द्वारा गरीब मजदूर लोगों के बिलो में मनमाने तरीके से संकलित खपत जोड़कर बिल की राशि को बढ़ाकर दिया गया है, जिसको भरना गरीबों की बस की बात नहीं है। गरीब बेचारा जैसे तैसे अपने परिवार का पालन कर रहे हैं इस पर विद्युत मंडल द्वारा हजारों रुपए के बिल देकर गरीबों को परेशान किया जा रहा है। जब भी सप्लाई बंद होती है तो मंडी वासियों द्वारा या किसी जनप्रतिनिधि द्वारा जिम्मेदार अधिकारियों को फोन लगाया जाता है। अधिकारी द्वारा फोन नहीं उठाया जाता है। एमपी में आकर यदि कोई जनप्रतिनिधि किसी समस्या से अवगत कराने का प्रयास करता है तो यहां के अधिकारी द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है। मंडी क्षेत्र में सदैव लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है जिसके कारण रात में स्ट्रीट लाइट नहीं जल पाती है। वहीं बिजली अधिकारी के द्वारा 7 दिन की अवधि में बड़े हुए बिलो का निराकरण का आश्वाशन मिलने के बाद विरोध खत्म किया गया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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