लोकायुक्त का बड़ा एक्शन: 50 हजार की रिश्वत लेते वन विभाग का रेंजर रंगे हाथों गिरफ्तार

Atul Saxena
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शहडोल, डेस्क रिपोर्ट। रीवा लोकायुक्त पुलिस (Rewa Lokayukta Police) ने शहडोल जिले में पदस्थ वन विभाग के रेंजर (Ranger Of Forest Department) को 50 हजार रुपये की रिश्वत (Bribe) लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। आरोपी रेंजर जब्त किये गए ट्रैक्टर को छोडने के बदले 2 लाख रुपये की मांग रहा था और आज जैसे ही पहली किश्त 50 हजार उसे दी गई लोकायुक्त पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

लोकायुक्त का बड़ा एक्शन: 50 हजार की रिश्वत लेते वन विभाग का रेंजर रंगे हाथों गिरफ्तार

जानकारी के अनुसार शहडोल की जयसिंघनगर वन रेंज के रेंजर महेंद्र सिंह यादव ने पिछले साल 6 अक्टूबर को दो ट्रैक्टर ट्रॉली को जब्त किया था, रेंजर ने मिटटी लेने गए ट्रैक्टर ट्रॉलियों के खिलाफ अवैध रेत परिवहन का केस बनाकर जब्त कर लिए।  ट्रैक्टर ट्रॉलियों को छुड़ाने के लिए उसके मालिकों ने बहुत कोशिश की तो रेंजर ने रिश्वत 50 हजार से 2 लाख तक की मांग की।  जिसकी शिकायत रीवा लोकायुक्त में की गई।

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शिकायतकर्ता कृष्ण कांत तिवारी ने लोकायुक्त रीवा एसपी गोपाल सिंह धाकड़ को इसकी शिकायत की।  कृष्ण कांत ने  लोकायुक्त एसपी को बताया कि पुलिस विभाग में SI (उप निरीक्षक) है और खेती भी करता है। 6 अक्टूबर 2021 को उसका परिचित अरविन्द सिंह परिहार अपना और उसका ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर खेत पैट मिटटी लेने गए थे। रास्ते में वन विभाग के कर्मचारियों ने ट्रैक्टर को पकड़ लिया और ये कहकर केस बना दिए कि तुम रेत भरने जा रहे थे।

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ट्रैक्टर छोड़ने के लिए कहने पर वनविभाग के कर्मचारियों ने कहा कि रेंजर साहब 50 – 50 हजार रुपये रिश्वत मांग रहे हैं।  जब रेंजर महेंद्र सिंह यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अब 50-60 से काम नहीं चलेगा अब तो 2 लाख दें पड़ेंगे। शिकायत के बाद लोकायुक्त के जाँच की और जाँच में रिश्वत मांगना सही मिला। अब लोकायुक्त ने रेंजर महेंद्र सिंह  यादव को रंगे हाथ पकड़ने की प्लानिंग की और आज सोमवार को जैसे ही उसके शासकीय आवास पर कृष्ण कांत  ने 50 हजार रुपये रिश्वत के दिए लोकायुक्त पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पुलिस ने भ्रष्टाचार से जुडी धाराओं में केस दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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