दर्द से तड़पती रही BJP विधायक की प्रसूता बेटी, ना मिले डॉक्टर और ना मिली एंबुलेंस

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श्योपुर।

भले ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गई है, लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्थाएं अब भी चरमराई हुई है। हालात ये है कि कभी डॉक्टर के अभाव में मरीज की मौत हो जाती है तो कभी फोन करने के बावजूद भी एंबुलेंस समय पर नही पहुंचती ।हैरानी की बात तो ये है कि इन अव्यवस्थाओं का शिकार केवल आम या गरीब आदमी को नही बल्कि नेताओं को भी होना पड़ता है। ताजा मामला श्योपुर से सामने आया है जहां सरकारी अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलने की वजह से बीजेपी विधायक की बेटी का प्रसव नहीं हो सका।जब विधायक ने दूसरे शहर के अस्पताल के लिए अपनी बेटी को रेफर करवाया तो तीन घंटे तक एंबुलेंस ही नही पहुंची और उनकी बेटी दर्द से कराहती रही।

दरअसल, भाजपा विधायक सीताराम आदिवासी की बेटी धोड़ीबाई (26) पत्नी सोनू आदिवासी निवासी मयापुर 9 माह की गर्भवती है। सोमवार की सुबह 10ः30 बजे प्रसव पीड़ा उठने के बाद विधायक अपनी स्कॉर्पियों से प्रसूता बेटी को लेकर जिला अस्पताल आए थे।इस दौरान डॉक्टर सीमा शाक्य ने चेकअप के बाद सोनोग्राफी की जांच लिख दी और उन्होंने जांचे करवा भी ली।लेकिन प्रसव ऑपरेशन से होना था और अस्पताल के ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों से लेकर अन्य डॉक्टर विजयपुर में आयोजित किए गए नशबंदी शिविर में गए हुए थे । इस दौरान विधायक ने करीब 35 मिनट तक डॉक्टर का इंतजार किया औऱ कईय़ों को फोन भी लगाए। जब बेटी का दर्द बढ़ने लगा तो विधायक ने अपनी बेटी को शिवपुरी रेफर करवाया लेकिन वहां भी करीब तीन घंटे तक एंबुलेंस नही पहुंची और बेटी दर्द से करहाती रही।

विधायक को एंबुलेंस प्रबंधन ने जबाव दिया कि, एक एंबूलेंस कोटा व दो गांवों में प्रसूताओं को छोड़ने गई हैं। करीब ढाई दो घंटे तक विधायक ने एंबुलेंस का इंतजार किया। पौने चार बजे एंबुलेंस आई तब विधायक अपनी बेटी को लेकर शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना हुए।हालांकि देर रात 10 बजे तक डॉक्टर अस्पताल में नहीं पहुंचे। इस वजह से विधायक की बेटी का ऑपरेशन नहीं हो सका।

हैरानी की बात है कि विधायक की बेटी का जिले के जिला अस्पताल में प्रसव नहीं हो सका, तो आप समझ ही सकते हैं कि अन्य प्रसूताओं और मरीजों की इस अस्पताल में क्या दुर्दशा होती होगी।सीताराम आदिवासी से जब मीडिया ने बात की तो वह जिला अस्पताल के बिगड़े हुए हालातों का रोना रोते हुए बोले कि यहां कोई व्यवस्था नहीं है। अस्‍पताल में न डॉक्टर हैं और नहीं कोई और व्यवस्था, जिससे मरीज परेशान हो रहे हैं।


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