शराब के नशे में अस्पताल स्टाफ के साथ अभद्रता करने वाला चिकित्सा अधिकारी निलंबित, ये है पूरा मामला

घटनाक्रम 18-19 सितम्बर की मध्य रात्रि का है, चिकित्सा अधिकारी डॉ. दोनेरिया शराब पीकर जिला चिकित्सालय श्योपुर में पहुँचे और ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक, नर्सिंग ऑफीसर व वॉर्ड बॉय के साथ अभद्रता करने लगे, रोकने पर उन्होंने अपना रौब दिखाया और कार्य में बाधा उत्पन्न की।

Atul Saxena
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Sheopur News: डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है, उसकी वजह से ही अस्पताल में मरीजों को इलाज मिल पाता है और वे ठीक होकर घर वापस जाते हैं कहा जाता है कि मरीज एक ठीक होने में सिर्फ दवाई ही नहीं डॉक्टर का व्यवहार और उसका आचरण बड़ा प्रभाव छोड़ते हैं लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें डॉक्टर ने इस अवधारणा को ही झूठा साबित कर दिया है, शासन से इसे निलंबन की सजा मिली है।
मामला जिला अस्पताल श्योपुर में पदस्थ चिकत्सा अधिकारी डॉ निवेश दोनेरिया से जुड़ा है, डॉक्टर साहब शराब पीकर अस्पताल पहुंच गए और वहां मौजूद डॉक्टर्स सहित अन्य स्टाफ से अभद्रता करने लगे, इसकी शिकायत की जिसके  बाद कलेक्टर श्योपुर ने इसकी जाँच करवाई फिर कलेक्टर के प्रतिवेदन पर संभाग आयुक्त मनोज खत्री ने डॉ दोनेरिया को निलंबित कर दिया है।

ये है पूरा घटनाक्रम 

ये घटनाक्रम 18-19 सितम्बर की मध्य रात्रि का है, चिकित्सा अधिकारी डॉ. दोनेरिया शराब पीकर जिला चिकित्सालय श्योपुर में पहुँचे और ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक, नर्सिंग ऑफीसर व वॉर्ड बॉय के साथ अभद्रता करने लगे, रोकने पर उन्होंने अपना रौब दिखाया और कार्य में बाधा उत्पन्न की। सिविल सर्जन द्वारा समझाए जाने पर नहीं माने उल्टा उनके साथ भी डॉ. दोनेरिया ने अभद्रता की।

संभाग आयुक्त ने लिया गंभीरता से, निलंबित किया 

डॉ. दोनेरिया के इस व्यवहार की खबर वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची। संभाग आयुक्त मनोज खत्री ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस कदाचरण पर कलेक्टर के प्रतिवेदन के आधार पर डॉ. दोनेरिया को मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियमों के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में डॉ. दोनेरिया का मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय श्योपुर रहेगा और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता रहेगी।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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