Sheopur Suicide Case : एक सीनियर आईएएस के रसूख के चलते आत्महत्या करने वाले शख़्स के परिजनों को न्याय के लिए एक महीने का इंतजार करना पड़ा। मामला जब श्योपुर जिले के कलेक्टर की संज्ञान में पहुंचा तब उन्होंने पुलिस को हड़काया और FIR दर्ज करवाई।दरअसल इस मामले में पीड़ित की जमीन बिकवाने के नाम पर सीनियर IAS के भाई ने उससे अनुबंध किया था और उसके बाद अपनी शर्तों से पलट गया।
क्या यह काफी नहीं था?
पीड़ित द्वारा जहर खाकर थाने में पहुंच जाना, चिल्ला चिल्ला कर प्रताड़ित करने वाले का नाम लेना, उसका वीडियो पुलिस के पास मौजूद होना और उसके बाद मृतक के मरने के पहले दिए गए बयान…..किसी पर कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त है। लेकिन जब मामला प्रदेश के एक आला आईएएस अफसर के परिवार का हो तो शायद नियम कायदे ताक पर रख दिए जाते हैं। श्योपर जिले में कुछ ऐसा ही हुआ।
ये है पूरा मामला
- दरअसल श्योपुर के जाटखेड़ा में रहने वाले किसान रामविलास मीणा की जमीन पर भेरूलाल नाम के व्यक्ति ने कब्जा कर लिया था और तमाम फरियाद करने के बाद भी खाली नहीं कर रहा था। इसी बीच रामविलास की मुलाकात दीनदयाल गुप्ता से हुई जो मध्य प्रदेश के एक सीनियर आईएएस के भाई हैं। दीनदयाल ने उसे आश्वासन दिलाया कि जमीन तुम हमें बेच दो हम इस जमीन का कब्जा छुड़वा लेंगे।
- रामविलास दीनदयाल की बातों में आ गया और अनुबंध कर 10 लाख रुपए दीनदयाल को दे दिए। लेकिन बाद में दीनदयाल भेरूलाल मीणा से ही मिल गया और रामविलास पर दबाव डालने लगा कि तुम अपनी जमीन भेरूलाल को ही बेच दो।
नहीं हुई सुनवाई, जहर खाकर पहुंचा थाने
इसके बाद रामविलास ने तमाम जगह फरियाद की और जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो तंग आकर जहर खा लिया और सीधा थाने पहुंच गया। आनन फानन में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उसकी मौत हो गई। मरने के पहले दिए बयान में उसने अपनी मौत के लिए भेरूलाल मीणा और दीनदयाल गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया था।
कलेक्टर ने की एसपी से बात
- रामविलास के परिजनों द्वारा तमाम जगह फरियाद करने पर भी इस मामले में जब FIR नहीं हुई और मामला जिले के कलेक्टर संजय कुमार के संज्ञान में पहुंचा तो वे हैरत में पड़ गए। संजय कुमार ने सीधे एसपी से इस मामले में बात की और उनसे कहा कि इस मामले में जब आदमी की मौत हुई है और पूरे सबूत मौजूद है तो आखिर FIR दर्ज करने में परेशानी क्या है?
- कलेक्टर के दबाव के चलते पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है। हालांकि जिले के एसपी विकास पाठक का कहना है कि जांच प्रक्रिया चल रही थी, इसी कारण FIR में देरी हुई । लेकिन साफ दिखता है कि कहीं ना कहीं सीनियर आईएएस का रसूख इस पूरे मामले को दबाने में काम आ रहा था।