“महारानी” के आदेश पर मिठाई की दुकान पर पहुंचे “महाराज”, हाथ जोड़कर मांगी मिठाई, दुकानदार से बोले ज्योतिरादित्य सिंधिया….

सिंधिया ने दुकान पर पहुंचकर कहा कि विनोद तुमने क्या करिश्मा किया है कि महारानी साहब ने मुझे स्पेशली यहाँ आने के लिए बोला, सिंधिया ने हाथ जोड़कर कहा कि तुमने कौन सी मिठाई खिलाई थी?

Jyotiraditya Scindia

Jyotiraditya Scindia at sweet shop : केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का आज एक अलग अंदाज देखने को मिला, वे अचानक एक मिठाई की दुकान पर पहुंच जाते हैं और हाथ जोड़कर कहते हैं, महारानी साहब का आदेश हुआ था आपकी दुकान पर आने का, आपने क्या करिश्मा किया है? कौन सी स्पेशल मिठाई खिलाई थी, पैक कीजिये मुझे लेकर जाना है।

इन दिनों सियासत में प्रसादम, लड्डू, जलेबी की चर्चा बहुत हो रही है… नेताओं और उनके समर्थकों की जुबान पर और सोशल मीडिया पर यही छाए हुए हैं, लेकिन हम यहाँ आपसे इसकी बात नहीं करने वाले, हम आपसे एक कस्बे की छोटी से लेकिन प्रसिद्द मिठाई की दुकान की बात करने वाले हैं इस दुकान की स्पेशल मिठाई का स्वाद ऐसा है कि जो एक बार खाता है भूलता नहीं है, ऐसा ही कुछ महारानी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया के साथ हुआ और फिर उनके कहने पर आज महाराज सिंधिया कोलारस की प्रसिद्द दुकान पर पहुंच गए।

जब पत्नी के कहने पर कोलारस की फेमस मिठाई दुकान पर पहुंचे Jyotiraditya 

शिवपुरी जिले का कोलारस क़स्बा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का लोकसभा क्षेत्र गुना शिवपुरी की एक विधानसभा है आज वे अपने लोगों के बीच पहुंचे तभी उन्हें याद आया कि उन्हें उनकी पत्नी महारानी प्रियदर्शिनी राजे ने विनोद कुमार की दुकान की एक फेमस मिठाई लाने के लिए बोला है, उन्होंने समर्थकों से दुकान का पता पूछा और दुकान पर पहुंच गए।

हाथ जोड़कर दुकानदार से बोले Scindia, तुमने क्या करिश्मा किया है

सिंधिया ने दुकान पर पहुंचकर कहा कि विनोद तुमने क्या करिश्मा किया है कि महारानी साहब ने मुझे स्पेशली यहाँ आने के लिए बोला, सिंधिया ने हाथ जोड़कर कहा कि तुमने कौन सी मिठाई खिलाई थी? दुकानदार ने एक थाल में रखा पेठे (स्पेशल लौकी, सफ़ेद कद्दू, कुम्हेडा) से बनी मिठाई  (कलाकंद) उनको खिलाई, सिंधिया ने कहा कि ये मिठाई केवल कोलारस तक नहीं चाहिए , ये स्वाद देश की धरोहर है आपने ये अपने पिताजी से सीखा है अब इसे किसी और को सिखाओ, ये बंद नहीं होना चाहिए, सिंधिया ने मिठाई ली और फिर वहां से चले गए, समर्थक अपने महाराज का ये अंदाज देखकर फूले नहीं समाये।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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