MP Byelection 2020 : बीजेपी प्रत्याशी ने बांट डाले भगवान के पोस्टर, बढ़ी मुश्किलें

Gaurav Sharma
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code of conduct violated by bjp candidate shivpuri

शिवपुरी/पोहरी, मोनू प्रधान। मध्यप्रदेश उपचुनाव (MP Byelection 2020) में एड़ीचोटी का दाव लगा रहे प्रत्याशी आचार सहिंता (code of conduct) के नियमों को भी आईना दिखाते नजर आ रहे हैं। शिवपुरी (Shivpuri) जिले के पोहरी में बीजेपी के प्रत्याशी सुरेश राठखेड़ा (BJP candidate Suresh Rathkheda)  ने सीएम की सभा के दौरान खुद अपने हाथों से भगवान के फोटो वाले कलेंडर (Photo calendars of god) वितरित कर डाले, जिसके बाद अब उनकी मुश्किल बढ़ती दिखाई दे रही है।

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एडवोकेट बिलगइयाँ बोले ये है नियम

आचार संहिता (code of conduct)  के नियमों के मुताबिक राजनीतिक दलों (Political party), उनके प्रत्याशियों और समर्थकों को रैली, जुलूस या अन्य चुनावी कार्यक्रमों के आयोजन के लिए संबंधित क्षेत्र की पुलिस या प्रशासन से पूर्व अनुमति तो लेनी ही होती है। वहीं इन कार्यक्रमों में कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर वोट (Vote) नहीं मांग सकता। इन नियमों के उल्लंघन (Violation of Code of conduct) पर चुनाव आयोग संबंधित दल पर दंडात्मक कार्रवाई (Punitive action) कर सकता है। इनमें प्रत्याशी का नामांकन खारिज करने से लेकर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने जैसे कदम तक शामिल हैं। नियमों के मुताबिक दोषी पाए जाने पर प्रत्याशी को जेल तक हो सकती है।

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ये कहना है उपनिर्वाचन अधिकारी का

वहीं इस पूरे मामले पर जिला उपनिर्वाचन अधिकारी अरविंद वाजपेयी का कहना है, कि इस तरह के मामले में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। सम्बंधित अधिकारी जांच कर जो भी नियमानुसार होगा उचित कार्रवाई कर सकते हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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