संजय गांधी टाइगर रिजर्व से सिंगरौली पहुंची बाघिन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, रौदी गांव में मिला शव

सोमवार देर शाम बाघिन का संदिग्ध परिस्थतियों में शव मिलने से वन अमले में हड़कंप मच गया। पांच अलग-अलग वन अमले की टीमों ने शव के पास पहुंच इसकी जानकारी डीएफओ और एसडीओ एनके त्रिपाठी, रेंजर हर्षित मिश्रा को दी गई। वन विभाग ने बाघिन के शव को अपने कब्जे में लेकर जांच पड़ताल शुरू कर दी है।

Atul Saxena
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Tigress dies suspicious circumstances: संजय गांधी टाइगर रिजर्व से सिंगरौली तक का सफर तय करने वाली एक बाघिन की सोमवार रात रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। बाघिन का शव सिंगरौली जिले के माडा वन परिक्षेत्र के रौदी गांव में मिला, जहां तीन दिन से उसकी गतिविधियां नहीं देखी गई थीं। संजय गांधी टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक अमित दुबे के अनुसार, यह बाधिन मूल रूप से छत्तीसगढ़ से आई थी। पहले वह अमरकंटक के जंगलों में पहुंची। वहां से रेस्क्यू कर 7 जनवरी को संजय टाइगर रिजर्व सीधी में छोड़ा गया। इसके बाद से बाघिन लगातार यात्रा करती रही और 5 फरवरी को सिंगरौली जिले के माडा परिक्षेत्र में पहुंच गई। वन विभाग ने आवासीय क्षेत्रों में अलर्ट जारी कर लोगों को जंगल की ओर न जाने की चेतावनी दी थी। विभाग की टीम लगातार बाघिन की लोकेशन ट्रैक कर रही थी। हालांकि, तीन दिन से बाघिन की कोई हलचल नहीं देखी गई और उसकी लोकेशन रौदी गांव में स्थिर थी।

प्राथमिक जांच में बाघिन के शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं मिले हैं। मौत के वास्तविक कारणों का पता पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से चलेगा। वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि बाघिन संभवत: वापस छत्तीसगढ़ लौटना चाह रही थी, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद बाधिन का अंतिम संस्कार किया जाएगा। मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं।

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5 अलग अलग दल कर रहे थे निगरानी 

गौरतलब हो कि बुधवार की रात से फीमेल टाइगर्स के दस्तक देने का सुराग मिलते ही साजापानी समेत कई गांंव में हड़कम्प मच और ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन कर्मियों को दिया था। इस दौरान सीधी जिले के संजय टाइगर दुबरी भूईमाड़ रेंज से क्रॉस कर बाघिन माड़ा परिक्षेत्र के डोंगरी व लंघाडोल क्षेत्र में लोकेशन मिला था। वन रेंजर माड़ा ने फौरन संजय टाइगर वन अमले को अवगत कराते हुए 5 अलग-अलग दल गठित कर सभी परिक्षेत्र सहायकों को प्रभारी बनाते हुए रेंज स्तर पर मानिटरिंग करने लगे।

बाघिन की मौजूदगी से दहशत में थे ग्रामीण 

बता दें कि संजय गांधी टाइगर रिजर्व टीम संयुक्त रूप से ट्रेकिंग और गश्ती करते हुए नजर रख रही थी। बाघिन को कॉलर आईडी भी लगी हुई है। वन कर्मी लगातार गस्त कर रहे थे। फिलहाल माड़ा परिक्षेत्र में बाघिन का लोकेशन मूवमेंट के मिलने से गांव के लोग दहशत में थे। अभी तक बाघिन किसी प्रकार की जनहानि नही पहुंचायी थी। वही डोंगरी व लंघाडोल वन क्षेत्र में बाघिन को मूवमेंट मिलने से साजापानी समेत कई गांव के लोग दहशत में थे। रेंजर ने जंगल के आसपास के गांव में मुनादी कराते हुए लोगों को जागरूक करते हुये आसपास के इलाको में लोगों को सतर्क करते हुये सलाह दिया गया था कि शाम के वक्त घरो के बाहर न निकले। लगातार वन अमला बाघिन को तलाशने के लिए लगा हुआ था।

तीन दिन से नहीं मिली लोकेशन, मिला शव 

वही इसी बीच पता चला कि संजय टाइगर रिजर्व से माड़ा के जंगल में पहुंची बाघिन अभी आसपास के जंगलों में विचरण कर रही थी। बाघिन के गले में लगी कॉलर आईडी से मूवमेंट का लोकेशन अपडेट्स हो रहा था। लोकेशन के आधार पर ही वन विभाग व टाइगर रिजर्व की टीमें निगरानी कर रही हैं। वन विभाग ने उसका लोकेशन रौंदी में ट्रेस किया था। लेकिन पिछले तीनों दिनों से बाघिन का कोई मूवमेंट न होने से वन अमला सख्ती में आ गया और बीट रौंदी के जंगल में तलाश शुरू कर दिया। सोमवार देर शाम बाघिन का संदिग्ध परिस्थतियों में शव मिलने से वन अमले में हड़कंप मच गया। पॉच अलग-अलग वन अमले की टीमों ने शव के पास पहुंच इसकी जानकारी डीएफओ और एसडीओ एनके त्रिपाठी, रेंजर हर्षित मिश्रा को दी गई। जहां बाघिन के शव को अपने कब्जे में लेकर जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है।

सिंगरौली से राघवेन्द्र सिंह गहरवार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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