भोपाल में बुढ़ापे की लाठी बनने की जगह बेटे ने पिता को लगाया 15 लाख रुपए का चूना

Gaurav Sharma
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भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। उस पिता पर क्या बीतती होगी जो अपनी सारी उम्र अपने बेटे को पालने पोसने में गुजार देता है और जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो वहीं उसके साथ लाखों रुपए की धोखाधड़ी कर देता है और जिस मामले के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसमें जिस बेटे ने अपने पिता के साथ धोखाधड़ी (Fraud) की है, वह गोद लिया (Adopted) हुआ बेटा है। जी हां मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां गोद लिए हुए 25 साल  के बेटे (25 years old Adopted son) ने अपने पिता के एटीएम (ATM) से 15 लाख रुपए की धोखाधड़ी (15 lakh’s Fraud) कर दी। फ्रॉड बेटे ने सारे पैसे मुंबई घूमने और गर्लफ्रेंड पर खर्च कर दिए। जब मामले का खुलासा हुआ तो पिता ने उससे पूछा पैसे की हेराफेरी को लेकर पूछा जिस पर जबाव देते हुए बेटे ने कहा कि मैं तुम्हारा दत्तक पुत्र (adopted son) हूं और अगर पुलिस से इस मामले को लेकर शिकायत की तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा (Murder)। बेटे के इस बरताव को देखकर दुखी पिता ने उसके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला (Fraud Case) दर्ज कराया है, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार (Arrested) कर लिया है।

पूरे मामले को लेकर भोपाल के कोलार थाना के टीआई ने बताया कि भोपाल के कोलार क्षेत्र की सर्वधर्म कॉलेनी में रहने वाले रहमान अली जो कि 75 साल के रिटायर्ड प्रोफेसर हैं, उनके खाते से 1 जनवरी 2020 से लेकर 24 दिसंबर 2020 तक 15 लाख रुपए निकाले गए। जब रिटायर्ड प्रोफेसर ने बैंक जाकर इसका पता लगाया तो यह बात सामने आई कि उनके एटीएम कार्ड (ATM Card) से यह पैसे निकाले गए हैं। एटीएम कार्ड (ATM Card) से निकाले गए पैसे की बात सुनकर रिटायर्ड प्रोफ़ेसर हक्का बक्का रह गए। उन्होंने बैंक प्रबंधन (Bank Administration) को बताया कि उन्होंने कभी एटीएम कार्ड (ATM Card) लिया ही नहीं है तो कैसे एटीएम कार्ड जारी हो गया और उससे खाते से पैसे निकल लिए गए। जिस पर प्रबंधन ने उनके द्वारा साइन के दस्तावेजं उन्हें दिखाएं जिसके बाद रहमान ने तुंरत पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई।

जब पुलिस ने पूरे मामले की जांच की तो यह बात सामने आई कि एटीएम कार्ड से राशि किसी और ने नहीं बल्कि रहमान की इकलौते बेटे आकिब अली ने निकाले है, जिसके बाद पुलिस ने आकिब को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। आरोपी आकिब अली ने अपना गुनाह कबूल करते हुए कहा कि उसे अब तक यह लग रहा था कि वे रहमान अली का असली बेटा है, लेकिन कुछ समय पूर्व ही उसे पता चला है कि वह उनका दत्तक पुत्र है। रहमान अली ने 15 दिन की उम्र में उसे गोद लिया था। आगे आरोपी ने बताया कि उसने अपने पिता को झांसे में लेकर एटीएम कार्ड का फॉर्म भरवा लिया था।

एटीएम कार्ड का फॉर्म भरवाने के लिए आरोपी ने अपने पिता से कहा था कि लैंडलाइन फोन हटवा देते हैं क्योंकि अब इसका इस्तेमाल नहीं है तो आप इस फॉर्म पर साइन कर दे। बेटे पर आंखें मूंदकर भरोसा करते हुए रहमान ने उसे फॉर्म पर साइन कर दिया और इस तरह आकिब ने अपने पिता रहमान के बैंक अकाउंट का एटीएम कार्ड बनवा लिया।

वहीं इस पूरे मामले को लेकर रहमान अली बताते हैं कि उनकी कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर आकिब को जब वह 15 दिन का था तब उसे गोद ले लिया था। तब से ही वह उसे अपने बेटे की तरह पाल रहे हैं। रहमान अली बताते हैं कि हमने आकिब की परवरिश में कोई कमी नहीं होने दी। हमने उसे बहुत प्यार किया लेकिन हमारे साथ न केवल धोखाधड़ी की बल्कि हमें जान से मारने की धमकी तक दी है। ऐसे बेटे के होने से अच्छा बेऔलाद होना बेहतर है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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