MP को भारत का दिल कहा जाता है। यह राज्य अपनी विविधता, संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है। कुछ शहर पढ़ाई का गढ़ माना जाता है, तो कुछ शहर धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। कुछ शहर खानपान के लिए फेमस है, तो कुछ शहर ऐसा भी है, जो सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। कुछ शहर अपने साथ इतिहास समेटे हुए हैं, तो कुछ शहर उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। कुछ शहर महंगाई के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है, तो कुछ शहर ऐसे भी है, जहां रहना-खाना बहुत ही सस्ता है। यहां के कई छोटे-छोटे गांव भी अपनी अनोखी पहचान बनाकर पूरे देश के लिए मिसाल बन चुके हैं।
इन्हीं में से एक धार जिले का पड़ियाल गांव है। यह एक ऐसा गांव जहां शिक्षा को पूजा माना जाता है और अफसर बनना कोई सपना नहीं, बल्कि परंपरा है। दिवाली की रौनक या होली का रंग चाहे जैसा भी हो, इस गांव के बच्चे किताबों में डूबे मिलते हैं, क्योंकि यहां हर घर से एक अधिकारी निकलता है।
हर घर में अफसर
ऐसे में पड़ियाल को लोग “अफसरों का गांव” कहने लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स धार जिले के इस छोटे से गांव की आबादी लगभग साढ़े 5 हजार है, लेकिन यहां के लोग काम बड़े-बड़े शहरों जैसा करते हैं। गांव में 90 प्रतिशत साक्षरता दर है, जो किसी ग्रामीण इलाके के लिए काबिल-ए-तारीफ है। रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक इस गांव से 400 से ज्यादा लोग सरकारी सेवाओं में जा चुके हैं, जिनमें आईएएस, आईपीएस, डीआईजी, एडिशनल एसपी, सिविल जज जैसे ऊंचे पदों पर कार्यरत अधिकारी शामिल हैं। यही नहीं यहां के सेवानिवृत्त अफसर आज भी गांव लौटकर बच्चों को पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
लोगों का ये मानना
पड़ियाल के लोगों का मानना है कि शिक्षा ही जीवन बदल सकती है। यही सोच पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। यहां कोई भी सफलता को किस्मत नहीं, बल्कि मेहनत का नतीजा मानता है। गांव में जब किसी घर का बेटा या बेटी अधिकारी बनता है, तो पूरा गांव जश्न मनाता है। बच्चों को शुरू से ही सिखाया जाता है कि किताबें ही असली पूंजी हैं। ऐसे में अब यहां के बच्चों के लिए सरकारी नौकरी कोई मुश्किल लक्ष्य नहीं, बल्कि एक सामान्य सी बात बन चुकी है।
बेटियां भी हैं आगे
पड़ियाल गांव की सबसे खास बात यह है कि यहां की बेटियां भी किसी से पीछे नहीं। जहां पहले गांवों में बेटियों की शिक्षा को उतनी अहमियत नहीं दी जाती थी, वहीं पड़ियाल ने इस सोच को पूरी तरह बदल दिया है। इस गांव की बेटियां डीएसपी, टीआई, डॉक्टर, सिविल जज, नायब तहसीलदार और कराधान अधिकारी जैसे पदों पर काम कर रही हैं। इनकी कामयाबी ने पूरे क्षेत्र की सोच बदल दी है। जिसका नतीजा यह है कि आज आसपास के गांवों की लड़कियां भी इन्हें देखकर प्रेरणा ले रही हैं।
आईएएस-आईपीएस हब
पड़ियाल के युवाओं में अफसर बनने का जोश तो है ही, लेकिन जो किसी वजह से सरकारी सेवा में नहीं जा पाए वो भी कमाल करते है। कोई इंजीनियर बन गया, कोई डॉक्टर… तो कई युवाओं ने विदेश जाकर बिजनेस खड़ा किया है। गांव के कुछ परिवारों ने तो शहरों में स्कूल और कोचिंग सेंटर भी खोले हैं। कई अफसर हर सप्ताह गांव आकर क्लास लेते हैं, ताकि बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सही तैयारी कराई जा सके। उनका कहना है कि हमने जो पाया, अब उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। पड़ियाल को आदिवासी क्षेत्र का “आईएएस-आईपीएस हब” कहा जाने लगा है।





