सूदखोरों से परेशान पति लापता, पुलिस नहीं कर रही मदद, पत्नी ने दी सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। सूदखोरों के कारण भोपाल में एक परिवार द्वारा आत्महत्या किये जाने के बाद ग्वालियर में  भी सूदखोरों के आतंक का मामला सामने आया है पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस उनकी मदद नहीं कर रही। यहाँ कर्जदारों की मारपीट, उनके द्वारा अपमानित करने और गंदी गालियां देने के कारण उनका परिवार परेशानी में है। घर का मुखिया लगभग डेढ़ साल से लापता है। सूदखोर घर की महिलाओं के साथ मारपीट करते हैं। पीड़ितों के मुताबिक वे पुलिस के हर बड़े अधिकारी के पास हो आये हैं डीजीपी को भी शिकायती पत्र भेजा है। मुख्यमंत्री को भी मेल भेजा है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा। परिजनों ने कार्रवाई नहीं होने पर सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी दी है।

सूदखोरों से परेशान पति लापता, पुलिस नहीं कर रही मदद, पत्नी ने दी सामूहिक आत्महत्या की चेतावनीसूदखोरों से परेशान पति लापता, पुलिस नहीं कर रही मदद, पत्नी ने दी सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी

 

ग्वालियर के मुरार में रहने वाला गुप्ता परिवार इन दिनों सूदखोरों के कारण दहशत में हैं। परिवार बिखरने की स्थिति में हैं। परिजनों के मुताबिक परिवार के मुखिया राजेश गुप्ता (राजू) पिछले एक साल से लापता हैं वे 31 जुलाई 2020 को एक पत्र छोड़कर लापता हो गए हैं। राजेश गुप्ता की पत्नी शशि गुप्ता ने एक वीडियो जारी कर कहा कि मेरे पति ने कुछ लोगों से कर्जा लिया था, सूदखोर मेरे पति को परेशान करते थे , टॉर्चर करते थे चार गुना पैसे लेने के बाद भी और पैसा मांगते थे, इसलिए वे घर से लापता हो गए। मैंने मुरार थाने में 7 अगस्त 2020 को एफआईआर कराई लेकिन पुलिस ने कोई मदद नहीं की।

सूदखोरों से परेशान पति लापता, पुलिस नहीं कर रही मदद, पत्नी ने दी सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी

सूदखोरों से परेशान पति लापता, पुलिस नहीं कर रही मदद, पत्नी ने दी सामूहिक आत्महत्या की चेतावनी

पीड़ित शशि गुप्ता के मुताबिक सूदखोर मेरे पति के लापता हो जाने के बाद घर में घुसकर मारपीट करने लगे, हमसे पैसे मांगने लगे। हमारे साथ अभद्र व्यवहार करने लगे मेरे और मेरी बेटी के लिए अश्लील शब्दों के प्रयोग करने लगे। हमने 10 अगस्त 2020 को इसकी शिकायत मुरार पुलिस थाने में की लेकिन पुलिस ने कोई मदद नहीं की उसके बाद 27  अगस्त 2020 को एसपी ऑफिस में शिकायत की लेकिन वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

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शशि गुप्ता ने कहा कि मैं एसपी, डीआईजी, आईजी, डीजीपी, कलेक्टर, कमिश्नर,  मुख्यमंत्री तक शिकायत की लेकिन कोई मदद नहीं मिली।  इस बीच 8 सितम्बर 2020 को पुलिस वाले मेरे बेटे समर को घर से ले गए और सूदखोर के घर की महिलाएं घर में घुस गई और मेरे साथ बुरी तरह मारपीट की।  सोने की चैन मंगलसूत्र, कीमती सामान अपने साथ ले गए।  मेरी बहु ने मारपीट का वीडियो बनाया जो हमने मुरार टीआई को दिखाया तो उन्होंने अभद्रता कर भगा दिया और मेरे बेटे को झूठा केस लगाकर बंद कर दिया।  उन्होंने कहा कि मैं सूदखोरों के आतंक से परेशान होकर ग्वालियर छोड़कर बेटी के घर आ गई हैं उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने हमारी मदद नहीं की तो मैं परिवार सहित आत्महत्या कर लूँगी।

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उधर पीड़ित शशि गुप्ता के बेटे समर गुप्ता ने बताया कि सूदखोरों के कारण मेरे पिताजी पहले लापता हो गए थे तो वापस आ गए थे फिर सूदखोर उन्हें परेशान करने लगे।  इसलिए वे 31 जुलाई 2020 को फिर घर से गायब हो गए। पिताजी के गायब होने के बाद सूदखोर मुझे मेरी पत्नी और मेरी मां को परेशान करने लगे। मैंने जब मां के साथ मुरार थाने में शिकायत की तो पुलिस ने उल्टा मेरे ऊपर ही केस कर दिया और मुझे जेल भेज दिया। मैं बिना किसी अपराध के दो महीने सजा काट कर आया हूँ। जबकि कर्जदारों से मेरा कोई लेनदेन नहीं है।

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गौरतलब है कि भोपाल में सूदखोरों से परेशान एक परिवार द्वारा सामूहिक आत्महत्या किये जाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सूदखोरों के खिलाफ सख्त एक्शन के निर्देश दिए हैं। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अभियान चलाकर कार्रवाई करने की बात कही है।  सरकार के निर्देश के बाद ग्वालियर एसपी ने भी सभी पुलिस अधिकारियों को ऐसे मामलों में थाना स्तर पर ही तत्काल एक्शन लेने के निर्देश दिए हैं।  अब देखना ये होगा कि लगभग डेढ़ साल पुराने इस मामले में पुलिस क्या कार्रवाई करती है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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