सूट बूट पहने चोरों ने सगाई समारोह में लाखों नकद और जेवर के बैग को चुराया, फुटेज आया सामने

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। एक तरफ तो सगाई समारोह की खुशियां मनाई जा रही थी, वही दूसरी तरफ चोरी के नापाक इरादों को लेकर मांगलिक समारोह में सूट – बूट में आये चोरों ने लाखों के माल और नकदी पर हाथ साफ कर दिया। चोरी की पूरी वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है, जिसके आधार पर पुलिस चोरों की तलाश में जुट चुकी है।

घटना इंदौर के चंदन नगर थाना क्षेत्र की है , जहां से कुछ ही दूरी पर स्थित सुरुचि गार्डन में चल रहे सगाई समारोह में दो बदमाश चोरी के इरादे से घुस गए। सूट बूट में मेहमानों के वेश में आये चोरों के इरादों को कोई भी भांप नहीं सका। वहीं दोनो बदमाशों ने चोरी की वारदात को अंजाम देने से पहले रैकी की थी। इसके बाद एक बदमाश दुल्हन के माँ के पास रखे बैग को धीरे से उठाकर मौके से भाग खड़ा हुआ। बाद में जब सगाई समारोह में रिश्तेदारों को इस बात की जानकारी लगी तो उन्होंने सबसे पहले वीडियो और फुटेज खंगाले इसके बाद घटना की जानकारी रात में ही पुलिस को दी।

 

घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और अब शिकायत और cctv फुटेज के आधार पर पुलिस चोरों की तलाश में जुट गई है। दुल्हन के चाचा देवी शंकर शर्मा ने बताया कि सगाई के दौरान दो बदमाश अंदर आये और उन्होंने रैकी कर वारदात को अंजाम देकर बैग पर हाथ साफ कर दिया। परिजनों के मुताबिक बैग तकरीबन 8 तोला सोना, 80 हजार नगद और मेहमानों द्वारा दिये गए लिफाफो से भरा था। फिलहाल, इस मामले में पुलिस की तफ्तीश जारी है और cctv फुटेज के आधार पर पुलिस चोरों की तलाश कर रही है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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