ग्वालियर, अतुल सक्सेना। भ्रष्ट अधिकारियों (Corrupt Officers) के खिलाफ सख्त तेवर दिखा रही मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार (शिवराज Government) ने एक और भ्रष्ट अधिकारी (Corrupt Officer) के खिलाफ भ्रष्टाचार (Corruption) के मामले में केस चलाने की अनुमति जारी कर दी है। हालाँकि इस अनुमति को लेने में लोकायुक्त को 7 साल लग गए। 2014 में लोकायुक्त (Lokayukta)ने आबकारी विभाग के उपायुक्त नवल सिंह जामोद (Deputy Commissioner Excise Naval Singh Jamod) के निवास और अन्य ठिकानों पर छापा मार कर आय से अधिक संपत्ति जब्त की थी। तभी से लोकायुक्त राज्य शासन से लगातार केस चलाने की अनुमति मिलने का इंतजार कर रहा था। खास बात ये है कि उपायुक्त नवल सिंह जामोद (Deputy Commissioner Excise Naval Singh Jamod) वर्तमान में आबकारी विभाग के मुख्यालय ग्वालियर में पदस्थ हैं और आबकारी आयुक्त ने उन्हें विभाजित अधिकारियों के विरुद्ध आने वाली भ्रष्टाचार (Corruption) और अनियमितता आदि पर निगरानी की जिम्मेदारी दे रखी है।
मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने पिछले दिनों हुए कैबिनेट बैठक के निर्णय के बाद आबकारी उपायुक्त नवल सिंह जामोद (Deputy Commissioner Excise Naval Singh Jamod) के खिलाफ भ्रष्टाचार केस चलानी की अनुमति जारी कर दी है। शनिवार को जारी चार पेज के आदेश में प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने 2014 में मारे गए छापे के बाद से अब तक की गई कार्रवाई की जानकारी भी दी है।
गौरतलब है कि लोकायुक्त की टीम ने 17 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन उपायुक्त संभागीय उड़नदस्ता इंदौर नवल सिंह जामोद (Deputy Commissioner Excise Naval Singh Jamod) के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी जिसमें उनके यहाँ मिली संपत्ति के गणना की गणना के बाद 37 लाख 25 हजार 969 रुपये अनुपातहीन संपत्ति मिलना बताया। विभाग ने बताया कि ये संपत्ति आबकारी उपायुक्त नवलसिंह जामोद (Deputy Commissioner Excise Naval Singh Jamod) की कुल आय का 22.72 प्रतिशत अधिक है। छापे के बाद लोकायुक्त ने राज्य शासन को नवल सिंह जामोद (Deputy Commissioner Excise Naval Singh Jamod) के खिलाफ भ्रष्टाचार (Corruption) का केस चलाने की अनुमति शासन से मांगी। इस बीच आबकारी आयुक्त के माध्यम से ये कहा गया कि व्यय की राशि में केवल 9 लाख 93 हजार 136 रुपये का अंतर है लिहाजा ये आय से अधिक संपत्ति का प्रकरण नहीं बनता इसलिए केस चलाने की अनुमति न दी जाये। आबकारी आयुक्त के पत्र के बाद वाणिज्यिक कर विभाग ने ये प्रकरण अभिमत के लिए विधि विधाई विभाग को भेज दिया जिसका परीक्षण करने के बाद विधि विभाग ने लोकायुक्त की कार्रवाई को सही मानते हुए आबकारी उपायुक्त नवल सिंह जामोद (Deputy Commissioner Excise Naval Singh Jamod) के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति देने का अभिमत दिया।
विधि विभाग के अभिमत के बाद मामला मंत्रिपरिषद की समिति के पास गया जहां प्रकरण का अध्ययन करने के बाद कैबिनेट ने उपायुक्त नवल सिंह जामोद (Deputy Commissioner Excise Naval Singh Jamod) के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं के तहत केस चलाने की सहमति दे दी। कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने शनिवार को आबकारी मुख्यालय ग्वालियर में वर्तमान में पदस्थ उपायुक्त नवल सिंह जामोद (Deputy Commissioner Excise Naval Singh Jamod) के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं के तहत केस चलाने की अनुमति जारी कर दी।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....