ओरछा कार हादसा : मौत का पुल…सरकार है कि जागती ही नहीं

ओरछा, मयंक दुबे। पुल यानि कि सेतु। सेतु का काम है, लोगो को पार लगाना लेकिन ओरछा में स्थित जामनी नदी(Jamna River) के मौत के पुल ने अब तक लोगो को पार तो नहीं लगाया, मझधार में डुबाया जरूर है ।अस्सी के दशक की वह बरसाती भयावह शाम इस क्षेत्र के लोग अब तक नहीं भूले है, जब जामनी के पुल पर पानी होने की दशा में पुल को पार करते हुए एक पूरी बस पानी मे समा गई थी। एक साथ अस्सी मौतों (Death) के मातम से लोगो के दिल दहल गए थे ।सरकार के नुमाइंदे भी पहुँचे और दिल्ली (Delhi) से गोताखोर आए लेकिन बाढ़(Flood) के पानी से एक भी शव नही निकाला जा सका

आखिरकार मृतको के परिजन चीख-पुकार करते रहे लेकिन उन्हें अपनो के अंतिम संस्कार का मौका तक नही मिला था इस अभागे पुल के मौत के मंजर की कोई एक कहानी नहीं है ।इसने कई घरों को एक साथ मौत के मुंह मे धकेला है। ओरछा के कुश नगर के घंसू कुशवाहा अपनी बहू को लेने खुशी खुशी घर से निकले थे,लेकिन बारिश की उफनती जामनी को पार करते वक्त वह ऐसे पानी मे समाए की उनका आजतक अता-पता नही है, ठीक इसी तरह जिला सहकारी बैंक के मैनेजर वाधवानी बारिश के मौसम में अपनी सरकारी गाड़ी समेत इसी पुल को पार करते समय पानी मे समा गए थे ।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)