अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2024 : 12 नवंबर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे शुभारंभ, कलाकारों को अलंकरण प्रदान करेंगे

अखिल भारतीय कालिदास समारोह में संस्कृति विभाग द्वारा घोषित दो वर्षों के चार विधाओं में आठ कलाकारों को उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अलंकरण प्रदान करेंगे।

Atul Saxena
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अखिल भारतीय कालिदास समारोह 2024 : मध्य प्रदेश के उज्जैन में 66 वें  अखिल भारतीय कालिदास समारोह का शुभारंभ  देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे, समारोह में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, सीएम डॉ. मोहन यादव, संस्कृति मंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी, प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल मौजूद रहेंगे, समारोह की तैयारियां पूरी कर ली गई है, उपराष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए करीब 1500 जवान तैनात रहेंगे, उपराष्ट्रपति इस अवसर पर चार विधाओं में आठ कलाकारों को अलंकरण प्रदान करेंगे, ये अलंकरण दो वर्षों के होंगे।

12 से 18 नवंबर  उज्जैन में आयोजित किये जा रहे अखिल भारतीय कालिदास समारोह  में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि होंगे। उपराष्ट्रपति मंगलवार 12 नवंबर को दोपहर पौने 3 बजे इंदौर एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे और वहां से सड़क मार्ग से 3:30 बजे कालिदास संस्कृत अकादमी परिसर उज्जैन पहुंचेंगे और अखिल भारतीय कालिदास समारोह में शामिल होंगे। वे 4:20 बजे उज्जैन से इंदौर के लिए रवाना होंगे और फिर हवाई मार्ग से दिल्ली निकल जायेंगे,  उपराष्ट्रपति के दौरे को लेकर पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है।

उपराष्ट्रपति की सुरक्षा में 1500 जवान तैनात रहेंगे 

मप्र पुलिस का महकमा  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्क है, सुरक्षा में करीब 1500 पुलिस जवान तैनात रहेंगे। इसमें 1000 पुलिस जवान रविवार 10 नवंबर को भोपाल से रवाना हो गये, जबकि 500 स्थानीय पुलिस जवान तैनात रहेंगे।

आयोजन में कार्यकर्मों की ये रहेगी श्रंखला

  • निर्धारित कार्यक्रमों के अनुसार 12 नवंबर को 4 बजे समारोह का शुभारंभ होगा और शाम 7 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जायेंगे।
  • 13 नवम्बर को पसुबह 10 बजे महाकवि कालिदास के साहित्य में पंच महाभूत विमर्श पर आधारित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का प्रथम सत्र होगा, दिन में 02 बजे विक्रम विश्वविद्यालय के अंतर्गत राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन होगा और शाम 05 बजे पंडित सूर्यनारायण व्यास व्याख्यान माला का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद शाम 07 बजे शास्त्रधर्मी शैली पर आधारित तथा पारम्परिक शैली से अनुप्रेरित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जाएगी।
  • 14 नवंबर को सुबह 10 बजे राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का द्वितीय सत्र होगा, दोपहर 02 बजे विक्रम विश्वविद्यालय के अंतर्गत संगोष्ठी का आयोजन होगा और शाम 05 बजे व्याख्यान माला कुटुम्ब व्यवस्था का आयोजन किया जाएगा।  शाम 07 बजे हिन्दी नाटक वसन्त सेना का प्रस्तुतीकरण होगा।
  • 15 नवंबर को प्रात: 10 बजे राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का तृतीय सत्र रहेगा, दोपहर 02 बजे विक्रम विश्वविद्यालय के अंतर्गत संगोष्ठी का आयोजन, शाम 05 बजे व्याख्यान माला- कालिदास का पर्यावरण चिंतन, इसके बाद शाम 07 बजे लोक गायन और नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम् की प्रस्तुति दी जाएगी।
  • 16 नवंबर को प्रातः 10 बजे संस्कृत कवि समवाय का आयोजन किया जाएगा। दोपहर 02 बजे अन्तरविश्वविद्यालयीन संस्कृत वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। शाम 7 बजे लोक नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।
  • 17 नवंबर को प्रात: 10 बजे अन्तर महाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद दोपहर 02 बजे अन्तर महाविद्यालयीन हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। शाम 07 बजे कलाकार शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति देंगे।
  • 18 नवंबर को समारोह का समापन होगा, कार्यक्रमों की शुरुआत शाम साढ़े चार बजे से होगी। शाम 07 बजे शास्त्रीय शैली में वादन होगा।

इन चार कलाकारों को मिलेगा राष्ट्रीय कालिदास अलंकरण

अखिल भारतीय कालिदास समारोह में संस्कृति विभाग द्वारा घोषित दो वर्षों के चार विधाओं में आठ कलाकारों को अलंकरण प्रदान किए जाएंगे, 12 नवंबर को शुभारंभ अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा कलाकारों को अलंकरण के साथ 5 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र, शाल, और श्रीफल देकर सम्मानित किया जाएगा।

  • शास्त्रीय नृत्य- वर्ष 2022 के लिए डॉ. संध्या पूरेचा (मुंबई) को भरतनाट्यम और वर्ष 2023 के लिए गुरु कलावती देवी (मणिपुर) को मणिपुरी नृत्य के लिए सम्मानित किया जाएगा।
  • शास्त्रीय संगीत- वर्ष 2022 के लिए पंडित उदय भवालकर (पुणे) को ध्रुपद गायन और वर्ष 2023 के लिए पंडित अरविंद पारीख (मुंबई) को सितार वादन के लिए सम्मानित किया जाएगा।
  • रंगकर्म- वर्ष 2022 के लिए भानु भारती (राजस्थान) को और वर्ष 2023 के लिए रुद्रप्रसाद सेन गुप्ता (कोलकाता) को रंगकर्म के क्षेत्र में सम्मानित किया जाएगा।
  • रूपंकर कलाएं- वर्ष 2022 के लिए पी.आर. दारोज (दिल्ली) को मूर्तिकला और वर्ष 2023 के लिए रघुपति भट्ट (मैसूर) को चित्रकला के लिए सम्मानित किया जाएगा।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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