देरी से आए सांसद-MLA और भाषण देकर चल दिए, BJP विधायक बोले- उनके पास वक्त की कमी

Published on -

उज्जैन।

लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में जमकर आपसी मनमुटाव और गुटबाजी देखने को मिल रही है। बीते दिनों प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज देरी से आने और फिर भाषण देकर चले जाने पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा नाराजगी जताई थी।  बाद में शिवराज के इस व्यवहार पर प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को सफाई देनी पड़ी थी।अभी ये मामला शांत हुआ हुआ था कि अब सांसद चिंतामणि मालवीय और विधायक मोहन यादव नगर निगम के एक समारोह में देरी से पहुंचे,  मंच से अपनी बात रखी और बिना किसी को सुने चल दिए। इस घटना पर विधायक पारस जैन ने तंज कसते हुए कहा कि उनके पास वक्त की कमी थी। मेरे पास वक्त ही वक्त है।

दरअसल, शुक्रवार को स्वच्छता में प्रदेश के छह शहरों के नाम आने पर सफाई श्रमिकों के सम्मान में नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल द्वारा ग्रांड होटल में एक समारोह रखा गया था। आयुक्त ने स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 की रैंकिंग में उज्जैन, मंझोले शहरों में नंबर-1 चुने जाने और राष्ट्रीय स्तर पर देश का चौथा सबसे स्वच्छ शहर करार दिए जाने से खुश होकर सफाई श्रमिकों का सम्मान करने, उनका आभार मानने के लिए सामाजिक समरसता भोज रखा था।इसमे शामिल होने उज्जैन सांसद चिंतामणि मालवीय, और उज्जैन दक्षिण के विधायक मोहन यादव एक तो देरी से पहुंचे और मंच से अपनी बात रखी और बिना किसी ओर को सुने वापस चले गए।यहां तक की उन्होंने सामाजिक समरसता के लिए रखा भोज भी नहीं किया।मंच पर मौजूद उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन ने इस घटना पर अपने उद्बोधन में यादव और मालवीय पर जमकर तंज कसा।जैन ने कहा कि उनके पास वक्त की कमी थी। मेरे पास वक्त ही वक्त है। इतने अच्छे कार्यक्रम में, बेहतरीन कार्य करने वालों के बीच रहना सुखद अहसास है।

गौरतलब है कि बीते दिनों प्रदेश भाजपा कार्यालय में विभिन्न प्रकल्पों और प्रकोष्ठों की बैठक में आयोजित की गई थी। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले तो देरी से बैठक में पहुंचे और उसके बाद भाषण देकर चले गए। इस पर रघुनंदन शर्मा नाराज हो गए और उन्होंने शिवराज के बैठक से जाने पर आपत्ति उठाते हुए बिना नाम लिए कहा कि लोग तो भाषण देकर चले गए। संगठन ने जिम्मेदारी दी है तो उन्हें पूरे समय बैठक में उपस्थित रहना चाहिए। शर्मा ने कहा कि जो कार्यकर्ता काम करके आया है, उससे बातचीत कर कार्यों का फीडबैक तो लिया ही जाना चाहिए। कार्यकर्ताओं से बातचीत की ही नहीं जाती। कार्यकर्ता को जो जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसमें से कितना काम हुआ, क्या नहीं हुआ, इसकी पूछताछ बैठकों में नहीं की जाती है। संगठन चलाना है तो ढंग से चलाया जाए।  


About Author

Mp Breaking News

Other Latest News