महाकाल लोक खंडित मूर्ति मामला : लोकायुक्त की जांच शुरू, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर से मांगी ये सारी जानकारी, दल करेगा कामों का भी निरीक्षण

Pooja Khodani
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Mahakal Lok Lokayukt investigation : महाकाल लोक में खंडित हुई सप्त ऋषियों की मूर्तियों के मामले में ताजा अपडेट सामने आया है। तेज आंधी में ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर स्थित श्री महाकाल महालोक में फाइबर रिइंफोर्समेंट प्लास्टिक से बनी खंडित हुई सप्तऋषि की छह मूर्तियां के मामले में लोकायुक्त ने जांच शुरू कर दी है। आज शनिवार को लोकायुक्त की दो सदस्यीय जांच टीम उज्जैन पहुंचेगी और मामले की जांच करेगी।

उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड ईडी से मांगी ये जानकारी

वही लोकायुक्त संगठन के चीफ इंजीनियर एनएस जौहरी ने उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ईडी) को चिट्ठी लिखकर मूर्तियों का टेंडर, एग्रीमेंट और वर्क ऑर्डर की मूल कॉपी मांगी है। इसके अलावा टेंडर बुलाने से लेकर उसे मंजूर करने, काम पूरा कैसे किया गया, बिल पेमेंट कैसे हुआ, काम की मौजूदा स्थिति क्या है आदि के बारे में हुए सभी पत्राचार और नोटशीट की मूल काॅपी मांगी है।हालांकि  28 मई को सप्तऋषि की 6 मूर्तियां टूटने के बाद 29 मई को लोकायुक्त जस्टिस एनके गुप्ता के सामने उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड के इंजीनियर की पेशी हो चुकी है, लेकिन दस्तावेज मांगे गए तो इंजीनियर ने 26 जून तक का वक्त मांगा।

संगठन के चीफ इंजीनियर द्वारा दस्तावेज मांगे जाने से साफ हो गया है कि लोकायुक्त की तकनीकी टीम इस पूरे मामले की गहन जांच की तैयारी में है। सभी अधिकारियों  द्वारा दस्तावेज पेश करने के बाद जांच दल पूरे क्षेत्र और महाकाल लोक में हुए कामों का निरीक्षण करेगा।  फिलहाल मामले की जांच की जा रही है,  लेकिन संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस मामले को लेकर कोई बड़ा खुलासा हो सकता है।

लोकायुक्त ने पूछे ये 5 सवाल

  1. जिनमें पहला सवाल था कि क्या महाकाल लोक के निर्माताओं ने पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के लिए धन सुरक्षित रखा है?
  2. मूर्तियां एफआरपी की होंगी। यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया था?
  3. क्या मूर्तियां संबंधित सप्लायर ने प्रस्तावित मानक के अनुसार तय की थी? इसे मानक के अनुसार निर्मित किया गया था?
  4. जहां मूर्तियां स्थापित की गई थी, क्या उसका आधार कमजोर था?
  5. क्या मूर्तियों की स्थापना में किसी लोक सेवक का भ्रष्टाचार परिलक्षित हो रहा है?

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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