उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कोरोना के खात्मे के लिए वैक्सीनेशन की अपील अब जाति, पंथ और धर्म की दीवारें तोड़ रही है। इस अपील के चलते अब अल्पसंख्यक वर्ग के लोग भी बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन के लिए आगे आ रहे हैं।
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धार्मिक रूप से उज्जैन के बेहद संवेदनशील इलाके में मौलाना अली की अपील धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता फैलाने वालों के मुंह पर एक तमाचा है। वैक्सीन को जाति या पंथ से जोड़ने वाले लोगों के मुंह यह अपील सुनकर बंद हो जाएंगे। जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष विभाष उपाध्याय की पहल पर मौलाना अली की अपील बताती है कि किस तरह से कोरोना की वैक्सीन के प्रति अल्पसंख्यक वर्ग को गुमराह किया जा रहा है। अली साहब बताते हैं कि अमेरिका की जनसंख्या का शत प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है। अब वहां न मास्क है न कोरोना। अली साहब ने बताया कि भारत देश की 26 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगी है जिसमें सिर्फ एक करोड़ मुस्लिम आबादी है। यह दुर्भाग्य की बात है। इस गलतफहमी को तोड़ने के लिए अब वैक्सीनेशन को जिहाद की तरह लेना होगा।
अली साहब ने बताया कि इस्लाम की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी मिस्र में है जिसका नाम जामे अजहर है। साढे 800 साल पुरानी इस यूनिवर्सिटी में दस लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं जिसमें एक लाख विदेश के हैं। उस यूनिवर्सिटी के सबसे बड़े मुफ्ती ने यह फतवा दिया है कि वैक्सीन लगाना जरूरी नहीं बल्कि वाजिब है। जैसे नमाज पढ़ना, जैसे रोजा रखना, जैसे हज करना वैसे ही समाज को इसे अपना जिंदगी का हिस्सा बनाना चाहिए। जाहिर सी बात है जब समाज के प्रमुख धर्म इस तरह की अपील करेंगे तो समाज पर असर पड़ना स्वाभाविक है और अली साहब का यह संदेश समाज को वैक्सीनेशन से जुड़ेगा,इसकी पूरी उम्मीद है। उज्जैन में यह वही स्थान है जहां मध्य प्रदेश में कोरोना का पहला मामला सामने आया था।