भाई को राखी बांधने जा रही बहन बेतवा की बाढ़ में बही, 12 घंटे से भी ज्यादा पानी में डूबने-तैरने के बाद बची जान

Published on -

विदिशा, डेस्क रिपोर्ट। किसी ने सच ही कहा है कि जिसे ऊपरवाला रखे उसे कोई नहीं मार सकता, कुछ ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के विदिशा के गंजबसौदा में सामने आया है, लगातार बारिश से भोपाल और विदिशा में बेतवा नदी में उफान आ गया है। गुरुवार को अपने भाई के साथ उसे राखी बांधने जा रही बहन इसी नदी में गिर गई, भाई भी नदी में गिरा लेकिन किसी तरह निकल बाहर आ गया, लेकिन तेज बहाव में बहन सोनम दांगी बह गई, 12 घंटे से भी ज्यादा समय तक बहन इस अथाह जलराशि में डटी रही, कई बार गहरे पानी में डूबी लेकिन अपनी हिम्मत से उसने बाढ़ के पानी को मात दे दी, बहन ने मौत के सामने घुटने नहीं टेके। लड़ती रही और आखिरकार बचकर आई बहन ने अपने भाई को राखी बाँधी। दोनों के लिए यह राखी यादगार बन गई।

भाई को राखी बांधने जा रही बहन बेतवा की बाढ़ में बही, 12 घंटे से भी ज्यादा पानी में डूबने-तैरने के बाद बची जान

यह भी पढ़ें… लापरवाही पर बड़ी कार्रवाई, ANM सहित 3 तत्काल प्रभाव से निलंबित, 260 को नोटिस जारी

पूरा मामला महिला की जुबानी 

सोनम दाँगी ने बताया कि वह गंजबासौदा में रहती है। उनका भाई कल्लू दांगी पडरिया गांव में रहता हैं। सोनम ने बताया कि गुरुवार को रक्षाबंधन के लिए मुझे लेने आए थे। लेकर जा रहे थे, तभी रास्ते में शाम 6 बजे गुरोद मार्ग बर्री पुल पर बेतवा नदी का पानी ऊपर तक नजर आया। भाई को लगा बाइक निकल जाएगी। पुल के बीच में पहुंचे होंगे कि बाइक स्लिप हो गई। इससे पहले कि कुछ समझ में आता मैं नदी में जा गिरी और तेज धार में बहने लगी। बाइक बहते देखी। भाई को भी मुझे बचाने के लिए नदी में कूदते देखा। फिर ये सब नजरों से ओझल हो गया। बर्री के जिस पुल से मैं बही थी, वहां से करीब चार किमी तक बहती चली गई। धार तेज थी, इसलिए ज्यादा समय नहीं लगा होगा, लेकिन मुझे हर पल ऐसा लग रहा था कि आज मौत तय है। चार किमी दूर गंज में नया पुल बन रहा है। इसके सरिए बाहर निकले हुए हैं। इन सरियों के बीच में फंस गई। यहां पानी का लेवल और बहाव भी थोड़ा कम था। फिर भी कभी भी पानी बढ़ने का डर था। ऊपर से बारिश भी थमने का नाम नहीं ले रही थी। शाम ढल गई और रात गहराने लगी। कोई मदद नहीं आई। कोई नजर भी नहीं आ रहा था, जिससे मदद मांगू। सरिए पकड़े-पकड़े हिम्मत जवाब देने लगी। मेरे 8 साल के बेटे राजदीप का चेहरा आंखों के सामने कौंध गया। सोच लिया कुछ भी हो जाए मैं हार नहीं मान सकती। पूरी रात आंखों में काटी। बिजली की गड़गड़ाहट और बारिश की बौछार मेरी परीक्षा ले रही थी। ठंड से पूरा शरीर कांप रहा था।

यह भी पढ़ें… महाकाल मंदिर में बिना टेंडर के हो गया लाखों का निर्माण कार्य, अब जागी मंदिर समिति

होमगार्ड ने किया रेस्क्यू लेकिन फिर दुबारा गिरी नदी में 

सुबह 5 बजे रेस्क्यू बोट नजर आई। देखकर जान में जान लौटी। बोट में बैठाकर लाइफ जैकेट पहनाई गई। बोट थोड़ी दूर ही आगे बढ़ी होगी कि पलट गई। होमगार्ड का जवान भी नदी में गिर गया और मैं भी। मैं फिर नदी में बहने लगी। बहते हुए करीब पांच किमी दूर राजखेड़ा गांव तक चली गई। कहते हैं- डूबते को तिनके का सहारा। मुझे भी जो मिल जाता था मैं उसे ही पकड़ने की कोशिश करती थी। एक पेड़ काे पकड़ लिया और उसे पकड़कर लटकी रही। सुबह 6 बजे वहां से राजखेड़ा गांव के ग्रामीणों ने टायर की मदद से मुझे बाहर निकाला। इसके बाद सोनम ने अपने परिजनों को फोन किया जो लगातार उसे तलाश कर रहे थे, जैसे ही सोनम की आवाज उसके परिजनों ने सुनी वह हैरान रह गए, दोनों तरफ़ से खुशी के आँसू बह निकले, किसी को भी भरोसा नहीं हुआ कि सोनम इतनी देर बाढ़ के पानी में रहने के बाद सुरक्षित बच गई, उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया जहां पर उसे थोड़ी देर के उपचार के बाद घर भेज दिया गया, इस पूरी घटना के बाद सोनम से मिलने वालों की कतार लग गई, हालांकि सोनम अपने भाई के घर पहुंची और उसने राखी बांधी। जिसने भी यह घटना सुनी, लोग न सिर्फ हैरान हुए बल्कि इस बात पर भरोसा करने के लिए मजबूर हो गए कि जांकों राखे सैयाँ मार सकें न कोई।

 


About Author

Harpreet Kaur

Other Latest News