Super Specialty Hospital: सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल को शुरु होने के दो साल बाद भी कई विभागों में काम नहीं शुरू हो पा रहा है। बीते साल अक्टूबर में सौ पदों के लिए भर्तियों का विज्ञापन जारी किया गया था, लेकिन इसमें से केवल 10 आवेदन ही आए और उनमें से भी 4 विभागों के लिए भर्तियां रोक दी गईं। दरअसल इस बड़ी लापरवाही के चलते कई विभाग ऐसे है जिनमें काम शुरू ही नहीं हुआ है। हालांकि अधिकारीयों से जब इस विषय में पूछा जाता है अधिकारी प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन देते हुए नजर आते है।
कर्मचारियों की कमी:
इंदौर और अन्य शहरों में सुपर स्पेशिएलिटी अस्पतालों में कर्मचारियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। गेस्ट्रो सर्जरी विभाग में अब तक किसी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हुई है और कई अन्य विभागों में भी कर्मचारियों की कमी है। विभागों में डॉक्टर्स की भी 15-15 सीट्स होने के बावजूद, केवल कुछ ही कामरेडी ही काम कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है की जिन विभागों में कुछ डॉक्टरों ने ज्वाइन किया था वे भी वहां से छोड़कर चले गए।
प्रोफेसरों के भरोसे चल रहा काम:
कई विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स के द्वारा काम चलाया जा रहा है, लेकिन इंटरव्यू की प्रक्रिया में भी कई रुकावटें आ रही हैं। इसी बीच, राज्य शासन ने नए आदेश जारी करते हुए सुपर स्पेशिएलिटी अस्पतालों पर नियंत्रण के अधिकार चिकित्सा शिक्षा विभाग आयुक्त या संचालक को सौंप दिए हैं। अब उन्हें सारे अधिकार नियंत्रण में होंगे। हालांकि कुछ विभागों में तो डॉक्टर्स की 15-15 सीट्स हैं, लेकिन वहां 3 से 4 लोग ही काम कर रहे हैं।
हालांकि सुपर स्पेशिएलिटी अस्पतालों में नियमित कार्यशैली को बनाए रखने के लिए सरकार और अधिकारीगण को निरंतर प्रयास करने होंगे। इसके साथ ही विभागों में कर्मचारियों की नियुक्तियों के लिए नई प्रक्रियाओं को भी शुरू करना पड़ेगा।