अनियमितता और फर्जीवाड़े को लेकर चर्चा में बने रहने वाले मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों से जुडी एक बड़ी खबर सामने आई है, उपभोक्ता फोरम ने मंदसौर के एक नर्सिंग कॉलेज को विद्यार्थी की ब्याज सहित पूरी फ़ीस वापस करने और उसे शैक्षणिक हर्जाने के रूप में 1 लाख रुपये ब्याज सहित देने के निर्देश दिए हैं।
मध्य प्रदेश की नर्सिंग शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने वाला एक बड़ा मामला मंदसौर से सामने आया है। यहां श्री जी नर्सिंग कॉलेज ने एडमिशन लेने वाली एक छात्रा से फीस तो ली लेकिन न परीक्षा कराई और न ही सही रसीद दी। शिकायत करने पर जब एडमिशन रद्द कर पैसे और दस्तावेज लौटाने की मांग की गई तो कॉलेज ने साफ़ इंकार कर दिया।
कॉलेज प्रबंधन ने नहीं सुनी, छात्रा ने खटखटाया कानून का दरवाजा
दरअसल 2022 में B.Sc नर्सिंग में दाखिला लेने वाली रेणुका डांगी ने दो साल इंतज़ार किया, मगर परीक्षा का कोई अता-पता नहीं चला। अंततः छात्रा ने चुप्पी तोड़ते हुए क़ानून का सहारा लिया। उसने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की, मामले की सुनवाई करते हुए मंदसौर जिला उपभोक्ता प्रतितोषण आयोग ने कॉलेज के रवैये को शिक्षा के अधिकार और छात्रा के भविष्य के साथ खिलवाड़ माना।
आयोग ने कॉलेज को दिए ये आदेश
- 1,00,500/- रुपये फीस वापस करे।
- 1 लाख रुपये शैक्षणिक हर्जाने के तौर पर दे।
- 10,000 रुपये मानसिक प्रताड़ना के लिए अदा करे।
- इन सभी राशि पर 6% वार्षिक ब्याज लगाया जाए।
- 30 दिन में छात्रा की टीसी और माइग्रेशन सर्टिफिकेट उपलब्ध कराए।
कई कॉलेजों में चल रहा गोलमाल
उल्लेखनीय है कि यह मामला अब केवल रेणुका डांगी या मंदसौर के किसी एक कॉलेज तक सीमित नहीं रहा। नीमच समेत प्रदेश के कई नर्सिंग कॉलेजों में छात्रों को इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है कि क्लास नहीं, परीक्षा नहीं, जवाबदेही नहीं।
क्या कहना है विशेषज्ञों का
रेणुका की लड़ाई और आयोग का यह आदेश छात्रों में नई उम्मीद जगाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले दिनों में ऐसे मामलों की संख्या और बढ़ सकती है और नर्सिंग शिक्षा के नाम पर चल रहे कारोबार पर सख्त कार्रवाई का रास्ता खुल सकता है।
मंदसौर के लिए नीमच से कमलेश सारड़ा की रिपोर्ट





