भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में हो रहे विधानसभा के उपचुनाव (Assembly By-election) में कांग्रेस (Congress) का सबसे ज्यादा जोर ग्वालियर-चंबल (Gwalior Chambal) इलाके के विधानसभा क्षेत्रों पर है, जहां से राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Rajyasabha MP Jyotiraditya Scindia) के समर्थक भाजपा उम्मीदवार (BJP Candidates) के तौर पर मैदान में हैं। राज्य में कमल नाथ (Kamal Nath) के नेतृत्व वाली सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण ही गिरी थी और कांग्रेस उपचुनाव के जरिए सिंधिया से अपना हिसाब बराबर करना चाहती है। यही कारण है कि कांग्रेस की चुनावी रणनीति में मुख्य जोर ग्वालियर-चंबल के विधानसभा क्षेत्रों पर है, जहां से सिंधिया समर्थक चुनाव मैदान में हैं।
राज्य में जिन 28 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा सीटें ग्वालियर चंबल इलाके से आती हैं और कुल 16 सीटें ऐसी हैं, जहां से सिंधिया समर्थक चुनाव मैदान में हैं। यही कारण है कि ग्वालियर-चंबल इलाका सियासी अखाड़ा बना हुआ है, क्योंकि इस इलाके से ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। कांग्रेस की कोशिश है कि इस इलाके की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत कर सिंधिया को भाजपा के अंदर कमजोर किया जाए। कांग्रेस की रणनीति पर गौर करें तो पार्टी ने लगभग चार माह पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता के.के. मिश्रा को इस इलाके का मीडिया प्रभारी बनाकर तैनात कर दिया था और तभी से मिश्रा सिंधिया के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। मिश्रा सिंधिया के जमीन से जुड़े मामलों से लेकर महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान पर भी खुल कर बोल रहे हैं। इतना ही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, अरुण यादव से लेकर पार्टी के तमाम दिग्गज इस क्षेत्र में आकर सिंधिया पर सीधा हमला बोल चुके हैं।
कांग्रेस की ओर से जितने भी नारे गढ़े जा रहे हैं, वे सारे सिंधिया और उनके समर्थकों पर ही केंद्रित हैं। सौदेबाजी से लेकर गद्दारी तक के आरोप कांग्रेस सिंधिया पर लगा रही है। जबकि सिंधिया का कहना है कि गद्दारी तो कांग्रेस ने की। किसानों से वादा किया, मगर उसे पूरा न करके गद्दारी की, नौजवानों को भत्ता न देकर गद्दारी की।
कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो आगामी दिनों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के इस क्षेत्र में दौरे संभावित है। सभी नेताओं के निशाने पर सिंधिया ही होंगे। कांग्रेस के भीतर एक धड़ा ऐसा है, जिसका लक्ष्य कांग्रेस को फिर सत्ता में वापस लाने का नहीं, बल्कि ग्वालियर-चंबल इलाके में सिंधिया को हराने पर ज्यादा है। इसके पीछे भी वजह है। दरअसल, कुछ नेताओं को लगता है कि सिंधिया का कद कम होने से उनका और उनके समर्थकों का कद बढ़ जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव सिंधिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि कांग्रेस की सरकार सिंधिया ने गिराई थी और अब भाजपा में अपनी राजनीतिक हैसियत भी बनानी है। यही कारण है कि इस चुनाव में ग्वालियर-चंबल इलाके में भाजपा को मिलने वाली जीत और हार का सिंधिया के राजनीतिक भविष्य पर बड़ा असर डालने वाली होगी।