MP उपचुनाव : कमलनाथ और नरेन्द्र सिंह तोमर पर FIR के आदेश, चुनावी सभा पर रोक

Pooja Khodani
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच जारी राजनैतिक सभा और रैलियों पर रोक के लिए हाईकोर्ट (Gwalior High Court) की ग्वालियर खंडपीठ में लगाई गई जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कोविड-19 की गाइडलाइन (Guideline) का उल्लंघन करने के मामले में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Former Chief Minister Kamal Nath) और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister Narendra Singh Tomar) के खिलाफ FIR करने का आदेश दिया है।

इसके अलावा कोर्ट ने प्रत्याशियों द्वारा आयोजित की जा रही सभाओं पर भी रोक लगाने के आदेश 9 जिलों के कलेक्टरों को दिये हैं। एडवोकेट आशीष प्रताप सिंह (Advocate Ashish Pratap Singh) की जनहित याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में जारी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अब सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। याचिकाकर्ता के वकील सुरेश अग्रवाल के मुताबिक हाईकोर्ट ने न्यायालय क्षेत्र में आने वाले ग्वालियर चंबल संभाग (Gwalior Chambal Division) के सभी 8 एवं विदिशा जिले के कलेक्टर को निर्देश दिये हैं कि वे प्रत्याशी को फिजिकल मीटिंग की अनुमति ना दें केवल वर्चुअल मीटिंग (Virtual meeting) की जा सकती है।

फिजिकल मीटिंग की अनुमति कलेक्टर नहीं देंगे। कोर्ट ने कहा कि यदि फिजिकल मीटिंग की अनुमति कलेक्टर देते हैं तो प्रत्याशी को पहले कलेक्टर (Collector) को संतुष्ट करना होगा कि वर्चुअल मीटिंग क्यों नहीं की जा सकती। इसके बाद यदि कलेक्टर प्रत्याशी की बात से संतुष्ट होते हैं तो उन्हे लिखित में आदेश पारित करना होगा और अनुमति के लिए भारत निर्वाचन आयोग को भेजना होगा।

अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को

कोर्ट ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग की अनुमति यदि मिलती है तो प्रत्याशी को एक शपथ पत्र देना होगा और बताना होगा कि जितने लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है उनके लिए मास्क और सेनेटाइजर की दो गुनी राशि कलेक्टर के पास जमा कराई जायेगी साथ ही रैली या सभा में जितने लोग मौजूद रहेंगे उन्हें मास्क और सेनेटाइजर (Masks and Sanitizers) सभा शुरू होने से पहले दे दिया जायेगा उसके बाद सभा या रैली शुरू होगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कोविड गाइड लाइन का उल्लंघन करने के मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी। आदेश के मुताबिक दोनों के विरुद्ध इससे पूर्व FIR दर्ज होनी चाहिये


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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