MP उपचुनाव : 30 सालों का इतिहास कायम, यहां किसी भी MLA को दोबारा नही मिला मौका

Pooja Khodani
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पंचायत चुनाव

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के शिवपुरी जिले (Shivpuri district) की करैरा सीट (Karera constituency) से कांग्रेस के प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव (Pragilal Jatav) ने ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के समर्थक और BJP के जसवंत जाटव को 30641 वोटों से करारी शिकस्त दी। हैरानी की बात ये है कि साल 2018 में जाटव यही से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीते थे।इस परिणाम ने 30 सालों के इतिहास को भी कायम रखा। कहा जाता है कि करैरा की जनता एक विधायक (MLA) को दोबारा मौका नही देती।

दरअसल, करैरा विधानसभा के गांव गांव में एक कहावत प्रचलित है कि ‘चायना का माल और करैरा के विधायक का उपयोग करने के बाद यहां की जनता उसे दोबारा मौका नही देती। 2018 के बाद 2020 में भी यह कहावत एक बार फिर चरितार्थ सिद्ध हुई। यदि करैरा विधानसभा में 1957 से अब तक चुने गए विधायकों के इतिहास (History) पर नजर डालें तो गौतम शर्मा व दाऊ हनुमंत सिंह को छोड़कर ,1990 में भगवत सिंह यादव से लेकर अब तक किसी भी विधायक को यहां की जनता ने दोबारा मौका नहीं दिया।2018 में जसवंत सिंह कांग्रेस की सीट से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन दल बदलने के बाद जनता ने उन्हें दोबारा मौका नही दिया और करैरा के राजनैतिक इतिहास को बरकरार रखा।

इस बार करैरा विधानसभा में उपचुनाव में रिकॉर्ड 73.68 प्रतिशत मतदान हुआ था। बसपा का दामन छोड़ हाथ थामने वाले कांग्रेस प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव को 95728 वोट और भाजपा प्रत्याशी जसवंत जाटव 65087 वोट मिले।लेकिन 30641 वोटों से प्रागीलाल जाटव ने जसमंत को मात दे दी। जबकी यहां भाजपा नेताओं की फौज मैदान में उतरी थी और खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 4 सभाएं की थी, इतना ही नही गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra), पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti), स्टार प्रचारक जयभान सिंह पवैया, केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar), नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा तक ने एडी से चोटी तक का जोर लगाया था, लेकिन जनता के फैसले के आगे नतमस्तक हो गए।

जसवंत की हार के कारणों में यह मुद्दे भी शामिल
विवादित कार्यशैली व अवैध रेत के उत्खनन के आरोप।
टिकाऊ-बिकाऊ मुद्दा कामयाब।
अधिकारियों को धमकाने के वीडियो वायरल
कांग्रेस विधायक रहते हुए विकास कार्यों पर ज्यादा ध्यान ना देना

अब तक चुने गए विधायकों की सूची पर एक नजर-
भगवानदास चतुर्वेदी -1957-1962
गौतम शर्मा– 1962-1972
राजमाता सिंधिया–1972-1977
सुषमा सिंह—-1977-1980
दाऊ हनुमंत सिंह–1980-1990
भगवत सिंह यादव-1990-1993
कारण सिंह रावत-1993-1998
रणवीर सिंह रावत-1998-2003
लाखनसिंह बघेल-2003-2008
रमेश प्रसाद खटीक-2008-2013
श्रीमती शकुंतला खटीक-2013-2018
जसवंत जाटव-2018 से मार्च 2020

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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