MP Byelection 2020 : सीएम शिवराज सिंह ने सभा में गरजते हुए जनता से पूछा, मामा अच्छा की कमलनाथ ?

Gaurav Sharma
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खंडवा, सुशील विधाणी। मध्यप्रदेश में 3 नवंबर को उपचुनाव (MP Byelection 2020) होने है।  मांधाता को प्रतिष्ठा की चुनावी (MP Byelection 2020) लड़ाई बनाकर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान आज चौथी बार मांधाता के चुनावी रण में उतरे । उन्होने ग्राम सुलगांव में महती आमसभा को सम्बोधित किया। सुलगांव, विधानसभा मांधाता, ज़िला खंडवा में आयोजित जनसभा में विचार साझा करते हुए मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की उच्च शिक्षा की फीस भरवाने की मैंने योजना बनाई, कमलनाथ जी ने इसे बंद कर दिया।

जनता के कल्याण की अनेक योजनाएं बंद करने वाले कमलनाथ जी पूछते हैं कि मैंने क्या पाप किया? कमलनाथ जी जनता आपसे पूछना चाहती है कि आप और कितने पाप करना चाहते हैं? पिछले साल फसल खराब हुई, लेकिन कमलनाथ जी की सरकार ने किसानों को राहत के रूप में एक धेला नहीं दिया। अब मैं आ गया हूं। आपकी सोयाबीन की फसल खराब हुई, तो सर्वे पूरा कराया। राहत का 4 हजार करोड़ रुपया प्रदेश के किसानों को दिया जायेगा। आपसे आग्रह करने आया हूं कि भारतीय जनता पार्टी को अपना आशीर्वाद देकर भारी मतों से विजयी बनाइयें। मैं भी आपको विश्वास दिलाता हूं कि विकास और जनकल्याण के कामों में कोई कमी नहीं रहने दूंगा।

 

उन्होंने किसानों गरीबों नौजवानों माता बहनों बुजुर्गों की योजनाओ को सिलसिलेवार गिनाकर जनता का समर्थन मांगा और कहा कि प्रदेश में मामा को मुख्यमंत्री देखना चाहते तो नारायण पटेल को वोट देकर भाजपा को जीता देना । उन्होंने जातिगत समीकरण साधते हुये ओंकार महाराज, सिंगाजी महाराज, जय सेवालाल टंटिया मामा नर्मदा मैया के जयकारे भी लगाये ।

MP Byelection 2020 : सीएम शिवराज सिंह ने सभा में गरजते हुए जनता से पूछा, मामा अच्छा की कमलनाथ ?

सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई कुछ जरुरी बातें –

  • मैंने सीएम रहते हुये किसान को जीरों परसेंट पर कर्जा दिया वही कमलनाथ ने इसे बन्द कर दिया । मैं डंके की चोट पर किसानो को जीरो परसेंट पर कर्जा दूंगा —”चिन्ता मत करना ”
  •  रेगुलर डिफाल्टर करके शिवराज ने किसानों को उलझा दिया ? कांग्रेस और कमलनाथ ने ब्याज की गठरी किसानों के सिर पर रख दी है
  • कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश के किसानों की सूची किसान सम्मान निधी दिल्ली में नहीं दी, इससे लाखों किसान किसान सम्मान निधी से वंचित है ।
  • किसान और गरीबो के बच्चों की मेडिकल और इंजीनियरिंग शिक्षा की फीस माता पिता नहीं भरेंगे प्रदेश का मामा भरेगा ।
  • प्रदेश में बेटा बेटी को जन्म देने वाली बहनों को लड्डू खाने के लिये उनके खातों मे 16000रू. मैने डालना चालु कर दिया है कमलनाथ ने इसको बन्द कर दिया था ।
  • मैंने लाडली लक्ष्मी शुरू की वह भी कमलनाथ सरकार ने बंद की थी। बहन के विधवा होने पर चार लाख देने की योजना कमलनाथ ने बन्द की जो प्रदेश की बहनो के साथ अन्याय किया. यह योजना हमने शुरु कर दी.
  •  कमलनाथ पर लगाया आरोप तुमने गरीबो की तीर्थ दर्शन योजना बन्द की।
  •  किसानो की गेंहू की हमने बम्पर खरीदी की। क्या कांग्रेस ने की ?
  • मैने प्रदेश मे सरकारी नौकरियों से प्रतिबंध हटा दिया प्रदेश बेटा बेटियों को अब सरकारी नोक​रीयां मिलेगी । खण्डवा जिले मे कोई भी कारखाना लगेगा तो उसमे 75 प्रतिशत लोकल लोगों को रेाजगार देना पडेगा ।
  •  कमलनाथ विकास विरोधी है ।
  •  मैं नारायण भाई और नन्दू भैया को आश्वस्त करता हू कि मांधाता के विकास मे कोई कसर बाकि नहीं रखूंगा ।
  •  इस क्षेत्र मे व पूरे मप्र. मे कच्चे मकान की जगह पक्का मकान बनवाकर दूंगा ।
  • दिल से बताओ मामा अच्छा की कमलनाथ अच्छा ? मामा मुख्यमंत्री बनना चाहिये की नही ? मामा तभी मुख्यमंत्री बनेगा जब आप कमल के फूल बटन दबाओगे ।
  •  संकल्प लो कांग्रेस की चालबाजी मे नही आयेंगे । कांग्रेसी दारू बांटेंगे कपडे बाटेंगे पैसे बाटेंगे इनके झांसे मे नही आना है ।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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