MP चुनाव: इस सीट पर विकास और जातिगत समीकरण बडा फैक्टर, बिगड़ सकता है बीजेपी-कांग्रेस का खेल

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सिंगरौली।

चुनाव के आखरी दौर में  सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं।राजनैतिक दलों का प्रचार-प्रसार भी जोरों पर चल रहा है।इसी बीच देश की ऊर्जाधानी कही जाने वाले सिंगरौली जिले की चितरंगी सीट पर इस बार कांग्रेस की जीत मुश्किल में दिखाई दे रही है। भले ही वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा हैं और सरस्वती सिंह यहां से विधायक हैं, लेकिन आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर कब्जा जमाने भाजपा एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रही है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान चितरंगी सीट पर विशेष ध्यान दिये थे। वही बसपा, सपा और आम आदमी पार्टी भी दोनों ही दलों के समीकरणों को बिगाडऩे के लिए तैयार बैठे हैं। सपाक्स ने चुनाव में दावेदारी जताकर मामले को और रोचक बना दिया है। 

वर्तमान में सिंगरौली जिले की चितरंगी सीट पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है और यहां से पार्टी नेता सरस्वती सिंह विधायक हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित इस सीट पर करीब 2 लाख वोटर हैं जिनमें आदिवासी आबादी ही हार-जीत का फैसला करती है। हालांकि क्षेत्र में ब्राह्णण, क्षत्रिय और कोल समुदाय के भी वोट हैं। खास बात तो ये है कि यहां हर चुनाव में आदिवासी वोटर ही प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला करते हैं, यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियां जाति समीकरण को ध्यान में रखते हुए चुनावी मैदान में अपना कैंडिडेट उतारती है।कांग्रेस अपनी पुरानी सीट बचाने की कोशिश में है तो बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाने की जुगत कर रही है, जबकि बसपा आदिवासी बाहुल्य सीट होने के चलते जातिवादी समीकरणों को लेकर चुनावी फायदे की फिराक में है।

दरअसल, 2008 के चुनाव में चुनाव में भाजपा के विधायक जगन्नाथ सिंह ने बाजी मारी और शिवराज कैबिनेट में शिक्षा मंत्री बने, लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में में जगन्नाथ सिंह अपनी सीट बचाने में नाकाम रहे और कांग्रेस की महिला नेत्री सरस्वती सिंह ने उन्हें करीब 11 हजार वोटों से शिकस्त दी। इस बार भी कांग्रेस ने सरस्वती सिंह पर जीत का भरोसा जताया है, वही भाजपा ने अमर सिंह को मैदान में उतारा है।दोनों ही दल चितरंगी के किले पर फतह का दावा कर रहे हैं।बसपा भी जातिवाद समीकरणों और एंटी इनकंबेंसी का फायदा लेने की कोशिश में है. लिहाजा बसपा ने अशोक सिंह पैगाम को उम्मीदवार बनाया है, जबकि आम आदमी पार्टी ने अवधेश पर दांव लगाया है। वही विकास और जातिगत समीकरण भी इन इलाकों में बड़ा फैक्टर है, लिहाजा सभी पार्टियां जनता को लुभाने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि देखना है अब पार्टी हाईकमान का आशीर्वाद किसे मिलता है। 


आकंड़ों पर एक नजर-

कुल मतदाता- 2 लाख 23 हजार 762

पुरुष मतदाता- 1 लाख 17 हजार 31

महिला मतदाता- 1 लाख 6 हजार 729 

गोंड मतदाता- 35 हजार 319

कोल मतदाता- 25 हजार 263 

ब्राह्मण मतदाता- 16 हजार 1 

यादव मतदाता- 16 हजार 89 


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