गुना| विजय जोगी| मतदान का समय नजदीक आते ही राजनीतिक दलों की सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं | सभी पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों के प्रचार में किसी भी तरह की कसर छोड़ना नहीं चाहती| खासकर उन विधानसभा सीटों पर जहां प्रत्याशियों की हार-जीत पार्टियों की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया हो| पिछले दिनों गुना और बमोरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मैदान में उतरकर मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास किया तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारते हुए बमोरी में भाजपा प्रत्याशी ब्रजमोहन आजाद के पक्ष में जनता से वोट मांगे | वहीं दूसरी ओर चाचौड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के पक्ष में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चाचौड़ा इलाके में पगडंडियों का सहारा लेते हुए दिखाई दिए तो भारतीय जनता पार्टी ने भी स्टार प्रचारकों का सहारा लेते हुए चाचौड़ा विधानसभा में हेमा मालिनी का संबोधन कराया | यहां क्षेत्र में महाराज माने जाने वाले सिंधिया और राजा दिग्विजय की प्रतिष्ठा दांव पर है| पिछली बार दो सीटों पर बीजेपी आई थी तो दो सीटों पर कांग्रेस, यानि कि मुकाबला राजा महाराजा के गढ़ में टक्कर का रहा था, इस बार गुना से बीजेपी के प्रत्याशी गोपीलाल जाटव, बमोरी से बृजमोहन सिंह आजाद, चाचौड़ा से ममता मीना और राधौगढ़ से भूपेंद्र सिंह रघुवंशी चुनाव मैदान में है|
सियासी गलियारों में मतदाता के मूड़ को लेकर भी चर्चा है| क्यूंकि अभी चुनाव की हवा किस और जा रही यह तय कर पाना प्रत्याशियों के लिए भी मुश्किल हो रहा है| मुकाबला कांटे का हो सकता है| जबकि पूर्व के चुनाव में इस तरह की चर्चाएं हो जाया करती थी कि कौन प्रत्याशी आगे चल रहा है| लेकिन इस बार दोनों तरफ से ताबड़तोड़ सभाएं की जा रही हैं| अगर राजनीति के जानकारों की मानें तो पिछले अनुभवों के आधार पर जब भी मतदाता ने लंबी चुप्पी साधी है तब हमेशा परिणाम अप्रत्याशित देखने को मिले हैं | इस बार मतदाता का मूड मतदाता के 1 सप्ताह पहले तक भी उजागर नहीं हो पाए | जहां बमोरी और गुना में सिंधिया ने अपने चहेतों को मैदान में उतारा है तो वहीं राधौगढ़ से पूर्व मंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने पुत्र को दोबारा मौका देते हुए कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया है और चाचौड़ा से दिग्विजय सिंह ने अपने भाई और पूर्व सांसद लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा है| जिसके चलते कांग्रेस दोनों ही नेताओं पर पूरा दारोमदार है| राजा और महाराज की प्रतिष्ठा यहां दांव पर है|
दो पर दिग्गी तो दो पर सिंधिया का कब्जा
राधौगढ़ और बमोरी में प्रत्याशियों को दोहराया गया है जबकि गुना और चाचौड़ा में कांग्रेस ने नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है| इसके अलावा सर्वविदित है कि चाचौड़ा और राघोगढ़ में हमेशा ही दिग्विजय के पसंदीदा उम्मीदवार मैदान में होते हैं| इस बार दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह और राघोगढ़ से उनके पुत्र जयवर्धन सिंह मैदान में है |वहीं बमोरी से सिंधिया के चहेते समर्थक महेंद्र सिंह सिसोदिया पर दोबारा सिंधिया ने विश्वास करते हुए मैदान में उतारा है | लेकिन इस बार गुना विधानसभा क्षेत्र से सिंधिया नया चेहरा जनता के सामने रख रखा है तो दिग्विजय सिंह ने चाचौड़ा से नए चेहरे के रूप में अपने भाई लक्ष्मण सिंह को मैदान में उतारा है| दोनों राजघरानों का यहां प्रभाव है| वहीं बीजेपी भी राजा और महाराजा के किले में सेंध लगाने की कोशिश में है और पूरी तैयारी के साथ मैदान में डटी हुई है| चार दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बमोरी में सभा कर चुके हैं| अब देखना होगा जनता का रुख किस ओर जाता है| राजा और महाराजा अपनी प्रतिष्ठा बचा पाएंगे या बीजेपी कांग्रेस दिग्गजों के गढ़ के सेंध लगाएगी|
इन दोनों सीटों पर सिंधिया की साख दांव पर
गुना, बमोरी दोनों सीटें सिंधिया के खाते की है| वह हर बार इन दोनों विधानसभा सीटों पर अपने समर्थित प्रत्याशियों को उतारते आये हैं | लेकिन बर्ष 2008 में बमोरी सीट बीजेपी के कब्जे में चली गई थी, लेकिन बर्ष 2013 में कांग्रेस ने इस सीट को वापस अपने कब्जे में ले लिया, और पिछली बार विधायक रहे महेंद्र सिंह सिसोदिया इस बार भी इस सीट से प्रत्याशी हैं, वहीं गुना विधानसभा आरक्षित सीट पर पिछली बार बीजेपी का कब्जा था और कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा था, और इस बार चंद्रप्रकाश अहिरवार को चुनाव मैदान में उतारा गया है| सिंधिया खेमे की इन दोनों सीटों पर पिछले चुनाव में एक पर बीजेपी और एक पर कांग्रेस का कब्जा रहा, इसलिए इस बार भी मुकाबला चुनौतीपूर्ण है और ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख दांव पर लगी है।