बता दें कि अस्पताल में इलाज करा रहे एक पीड़ित की पत्नी ने बताया कि रविवार रात रोजिद गांव में शराब पीने के कुछ घंटे बाद ही उसके पति की हालत बिगड़ने लगी थी। वहीं, एक अन्य पीड़ित हिम्मतभाई, जो अब स्वस्थ हो रहा है उसने बताया कि रविवार की रात एक तस्कर से खरीदी गई शराब का सेवन करने के बाद कम से कम 15 लोग बीमार पड़ गए, वहीं SIT की शुरुआती जांच में पता चला है कि सोमवार को बरवाला के रोजिद गांव में एक शराब भट्टी पर 8 गांव के लोग शराब पीने आए थे। शराब की जगह वहां लोगों को मेथेनॉल केमिकल दिया गया था।जिसको पीने के बाद ही आंतों, किडनी और लीवर को तेजाब की तरह जला दिया। जिससे 29 लोगों की मौत हो गई। आरोपियों ने अहमदाबाद से मिथनॉल खरीद कर लाया था और उससे शराब बनाई गई थी।
यह भी पढ़े…रश्मिका मंदाना अपनी नवीनतम मोनोक्रोम तस्वीरों में अपनी मिलियन-डॉलर की मुस्कान से दिल जीत रही हैं
गौरतलब है कि सबसे ज्यादा रोजिंद गांव में 9 लोगों के शव का अंतिम संस्कार किया गया है। जहरीली शराब से रोजिंद के अलावा रेस, चौकड़ी, धंधुका, नभोई, रणपरी, पोलरपुर और चौरागा में मातम पसरा हुआ है।
कांग्रेस नेता ने सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि शराबबंदी वाले प्रदेश में जहरीली शराब कैसे मिली? उन्होंने कहा- सरकार ने DSP को जांच की जिम्मेदारी दी है, लेकिन पुलिस की भूमिका खुद संदिग्ध है, ऐसे में सही जांच कैसे हो पाएगी।
यह भी पढ़े…Sarkari Naukari: यहाँ निकली कई पदों पर भर्ती, फ्रेशर्स भी कर सकते हैं आवेदन, बस इस डिग्री की होगी जरूरत
ज्ञातव्य है कि वर्ष 1960 से ही गुजरात में शराब पर रोक लगी है, उसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम रहते हुए इसे ड्राय स्टेट घोषित कर दिया था, साथ ही 2017 में कानून को और भी कठोर कर दिया गया, इसके तहत अगर कोई गैरकानूनी तरीके से शराब की बिक्री करता है, तो उसे 10 साल कैद और 5 लाख रुपए जुर्माने की सजा हो सकती है।