कोलकाता, डेस्क रिपोर्ट ।6th Pay Commission. पश्चिम बंगाल के 10 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है।3 महीने के अंदर कर्मचारियों को 31 प्रतिशत महंगाई भत्ते का लाभ मिल जाएगा। इसके लिए कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल की ममता सरकार को आदेश दिया है। हाई कोर्ट के आदेशानुसार जुलाई तक सभी कर्मचारियों को DA का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
Read More: MP News: लापरवाही पर बड़ी कार्रवाई, बिजली प्रभारी को हटाया, CMO समेत 166 को नोटिस
दरअसल, हाल ही में कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए सरकारी कर्मचारियों को तीन महीने में उनका बकाया डीए का भुगतान करने का राज्य सरकार को निर्देश दिए है । न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण (सैट) के जुलाई, 2019 के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि डीए सरकारी कर्मियों का एक मौलिक व कानूनी अधिकार है। इससे उन्हें वंचित नहीं किया जा सकता है।
कलकत्ता हाई कोर्ट नेजुलाई, 2009 से ही बकाया डीए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने राज्य सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि उसके कोष में पैसा नहीं है।कोर्ट ने राज्य सरकार की रिट याचिका को खारिज करते हुए 26 जुलाई 2019 को पारित सैट के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगले तीन महीने के भीतर डीए क्लियर करना होगा। अब राज्य सरकार को वर्ष 2009 से 31 फीसदी की दर से महंगाई भत्ता देना होगा।
Read More: MP के कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, रिटायरमेंट के बाद मिलेगा ये लाभ, पेंशन पर अपडेट
बता दे की 2016 में, राज्य सरकार के कर्मचारियों ने छटवे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार 31 प्रतिशत DA की मांग करते हुए सैट में एक याचिका दायर की थी। यह याचिका कन्फेडरेशन ऑफ स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज की ओर से दायर की गई है। सैट ने राज्य सरकार के कर्मिचारियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए केंद्रीय कर्मचारियों की दर पर ही उन्हें डीए देने का राज्य को आदेश दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की थी।इस फैसले से राज्य के करीब 10 लाख कर्मियों को लाभ मिलेगा और राज्य सरकार के पास डीए मद में लगभग 23 हजार करोड़ रुपये बकाया है।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है सरकार
हाई कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार की तरफ से जवाब आया है । राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिसंघ के महासचिव मोलॉय मुखर्जी का कहना है कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सैट के आदेश को बरकरार रखा है। राज्य सर्कार अब इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। हम शीर्ष अदालत में एक कैविएट भी दाखिल कर रहे हैं।