साड़ी नहीं दिलाना पड़ गया पति को महंगा, पत्नी ने की सरेआम पिटाई

Gaurav Sharma
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। बुधवार को देश भर में करवा चौथ (karwa chauth) का त्योहार बड़े ही धूमधाम ने मनाया गया। महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखे गए व्रत को उनके पतियों द्वारा खुलवाया गया। करवा चौथ पति-पत्नी के बीच प्यार का एक अनोखा त्योहार माना जाता है। पर इसी बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जो आपको चौंका देगी। दिल्ली में एक महिला ने अपने पति की शोरुम में सरेआम सिर्फ इसलिए पिटाई कर दी. क्योंकि उसके पति ने उसे 12 हजार की साड़ी दिलाने से इंकार कर दिया था।

करवा चौथ के एक दिन पहले देश भर के बाजार गुलजार नजर आए। बाजारों में ग्राहकों की जमकर भीड़ लगी। कपड़ा बाजार सौंदर्य प्रसाधनों की दुकानों पर भीड़ रही। इसी बीच देश की राजधानी दिल्ली से एक हैरान करने वाला वाकया सामने आया है। दिल्ली के मुरादनगर इलाके में एक पति अपनी पत्नी को करवा चौथ के लिए साड़ी दिलाने शोरूम लेकर पहुंचा था। इसी बीच कुछ ऐसा हो गया जिसने सबको चौंका दिया। साड़ी खरीदना तो दूर मामला पुलिस तक पहुंच गया।

दरअसल, शोरूम में साड़ी खरीदने पहुंचे दंपत्ति में उस वक्त विवाद हो गया जब पत्नी साड़ियां पसंद करने लगी। काफी देर तक साड़ियां देखने के बाद पत्नी को 12000 की एक साड़ी पसंद आई।लेकिन पति ने उसे इतनी महंगी साड़ी दिलाने से इंकार कर दिया। पहले तो पति ने अपनी पत्नी को सस्ती साड़ी लेने की समझाइश दी पर जब उसकी पत्नी नहीं मानी तो पति ने उसे वहीं थप्पड़ मार दिया।

पति द्वारा थप्पड़ पड़ने पर पत्नी ने भी अपना आपा खो दिया और भरे शोरूम में उसने पति की जमकर पिटाई कर दी। जब पूरे मामले की जानकारी पुलिस को लगी तो वो घटना स्थल पर  पहुंची और उन्हें थाने लेकर आई। थाने में पुलिस ने दोनों पति पत्नी के बीच मामले को सुलझाया और सुलह कराकर उन्हें घर वापस भेज दिया।

बता दें कि हर साल कार्तिक महीने के कृष्ष पक्ष की चतुर्थी पर करवा चौथ का व्रत आता है। जिसकी मान्यता है कि कोई भी पत्नी अगर इस व्रत को करती है तो उसके पति की उम्र लंबी होती है। इस व्रत में पत्नी पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर शाम को चांद निकलने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना उपवास खोलती है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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