मुंबई, डेस्क रिपोर्ट। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को आज एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ENFORCEMENT DIRECTORATE) द्वारा गिरफ्तार किया गया है। गिरफ़्तारी से पहले देशमुख से ED द्वारा लगभग 12 घण्टे सवाल जवाब किया गया । आपको बता दें बॉम्बे हाईकोर्ट (BOMBAY HIGH COURT) द्वारा देशमुख की ED के सम्मुख पेश न होने (SUMMON) की याचिका को निरस्त कर दिया था जिसके बाद वे अपने बयान दर्ज कराने के लिए पेश हुए।
लगातार पांच बार ED द्वारा भेजे गए बुलावे के बावजूद देशमुख उपस्तिथ नहीं हुए थे जिसके बाद ED द्वारा जगह जगह छापे मारकर उन्हें ढूंढ निकलने की कवायद शुरू की गई थी। इस छुपा छुपाई के बाद देशमुख कल अपने वकील के साथ खुद ही अचानक ED के ऑफिस पहुँच गए जिसके बाद उनसे पूछताछ शुरू की गई।
आपको बता दें ED के सामने पेश होने से पहले देशमुख ने एक वीडियो मैसेज बनाकर उसे फैलाया जिसमे उन्होने पुलिस कमिश्नर परम बीर सिंह द्वारा उनके देश छोड़कर भाग जाने वाली बात का खंडन किया। वीडियो मैसेज में उन्होने ने ED के साथ कोआपरेट न करने वाली बात को झूठा ठहराया और कहा किजब जब उनके पास ED द्वारा नोटिस भेजा गया उन्होने उसका जवाब दिया है। वे केवल न्यायालयों के समक्ष अपनी याचिकाओं के जवाब आने का इंतज़ार कर रहे थे। उन्होने यह भी कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि ED उनके साथ निष्पक्ष तरीके का व्यहवार करेगी। सत्यमेव जयते का नारा देते हुए उन्होंने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का पूर्ण रूप से खंडन किया।
आपको बता दें इससे पहले ED द्वारा देशमुख के पर्सनल सेक्रेटरी संजीव पलांडे (SANJEEV PALANDE) को मनी लॉन्डरिंग के मामले देशमुख की मदद करने के इरादे के तहत गिरफ्तार किया गया था। ED के अधिकारीयों का कहना है की संजीव की मदद से असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाज़े से नकद में 4.7 करोड़ रूपए लिए थे। जिसके बाद वाज़े द्वारा यह रकम देशमुख को अवैध रूप से एकत्रित कर दी गयी थ।
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Gaurav Sharma
पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।
इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।