नई दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थित गोरखनाथ मंदिर (gorakhnath temple) में बीती रात (रविवार) शाम के करीब 7 बजे एक शख्स ने मंदिर की सुरक्षा में तैनात सिपाहियों पर हमला कर दिया। इस हमले में दो पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं जिनका नाम गोपाल गौड़ और अनिल कुमार पासवान बताया जा रहा है वहीं आरोपी का नाम अहमद मुर्तजा अब्बासी बताया जा रहा है।
आपको बता दें कि यह हमला मंदिर के उत्तरी और पूर्वी गेट को पारकर एक युवक तेजी से आया और मुख्य गेट पर तैनात सिपाही गोपाल के करीब पहुंच गया। वह सिपाही से उसके हथियार को छीना झपटी करने लगा। और सुरक्षाकर्मी जब तक संभलता, तभी उतने में ही हमलावर ने तेज धारदार हथियार से उस पर सिपाही हमला करना शुरू कर दिया। वहां शोर सुनकर कुछ दूरी पर खड़े एक अन्य सिपाही सुनील वहां भागते हुए पहुंचे तो हमलावर ने उन पर हमला कर उन्हें भी लहूलुहान कर दिया।
दूसरी तरफ, मंदिर की सुरक्षा में तैनात सिपाहियों पर हमले की खबर मिलते ही पुलिस अफसर मौके पर दौड़ पड़े। उनको आता देख हमलावर ने जोर-जोर से अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाने शुरू कर दिए। काफी मशक्कत के बाद सुरक्षाकर्मियों ने हमलावर पर काबू पा लिया और मंदिर के साइकिल स्टैंड के पास उसे दबोच लिया। और पुलिस ने हमलावर के पास से धारदार हथियार, पैन ड्राइव, लैपटॉप और हवाई जहाज का टिकट बरामद किया गया है। मामले की जानकारी हुई तो पुलिस के उच्चाधिकारी भी मौके पर पहुंच गए।
मंदिर पर हुए हमले की घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है, पुलिस सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से जांच को आगे बढ़ा रही है। पुलिस पता लगाने का पूरा प्रयास कर रही है कि आरोपी अकेला था या फिर उसके साथ कोई और व्यक्ति आया था। अगर कोई मददगार था तो वह कौन था? हमलावर किसी आतंकी संगठन से संबद्ध है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
मिली जानकारी के अनुसार, एटीएस व पुलिस टीम आरोपी अहमद मुर्तजा अब्बासी के घर पहुंची और उसके पिता व अन्य परिवार वालों से पूछताछ कर रही है। एटीएस उसका विदेशी कनेक्शन भी तलाश रही है। वह पता कर रही है कि आरोपी के पास पासपोर्ट था या नहीं। वहीं घटना में आतंकी कनेक्शन या इसके जरिए दंगा कराने की साजिश तो नहीं थी। इस बिंदु पर एटीएस ने जांच शुरू की है।
About Author
Amit Sengar
मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।
वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”