रक्षाबंधन से पहले कर्मचारियों को लेकर बड़ा फैसला, बदले नियम, जानें कैसे मिलेगा फायदा

Pooja Khodani
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Chhattisgarh Government employees

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। केंद्रीय कर्मचारियों (Government Employee) के लिए बड़ी खुशखबरी है। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने कर्मचारियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत किसी मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनर्स (pensioners) के दिव्यांग बच्चों को मिलने वाले पारिवारिक पेंशन परिलाभों में बड़ी बढ़ोतरी की जाएगी।इस संबंध में पेंशन एवं पेंशनर्स कल्याण विभाग द्वारा निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

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यह जानकारी केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह (Union Minister Dr Jitendra Singh)  ने दी है।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि  केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के तहत परिवार पेंशन के लिए किसी मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनर्स के बच्चे और भाई-बहन की पात्रता के लिए आय मानदंड का सरलीकरण किया जाएगा, इस संबंध में भी निर्देश जारी किए गए हैं।

इसके अलावा दिव्यांग बच्चों और भाई-बहन के संबंध में परिवार पेंशन की पात्रता के लिए आय से जुड़े मानदंड की  इसे ध्यान में रखते हुए भी केंद्र सरकार ने समीक्षा बैठक की और यह फैसला लिया कि ऐसे बच्चों/भाई-बहनों के परिवार पेंशन की पात्रता के लिए आय से जुडा मानदंड, उनके मामले में परिवार पेंशन की पात्र राशि के अनुरूप होगा।

कौन होगा पात्र

  • किसी मृत सरकारी कर्मचारी/ पेंशनर्स का मानसिक या शारीरिक रूप से अशक्त बच्चा/ भाई-बहन जीवन भर परिवार पेंशन के लिए पात्र होगा/होगी।
  • अगर उसकी कुल आय, परिवार पेंशन के अलावा, सामान्य दर पर पात्र परिवार पेंशन से कम है ।
  • यानी मृत सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स द्वारा उठाए गए अंतिम वेतन के 30 प्रतिशत हिस्से और उस पर स्वीकृत मंहगाई राहत भत्ते के बराबर या उससे कम है।

क्या कहता है नियम

केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के नियम 54(6) के अनुसार, मृत सरकारी कर्मचारी या पेंशनर्स का मानसिक या शारीरिक रूप से अशक्त बच्चा और भाई-बहन आजीवन पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र है, अगर वह किसी ऐसी शारीरिक अशक्तता से पीड़ित है, जिसकी वजह से वह अपनी आजीविका नहीं कमा सकता/सकती।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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