EPFO: 6 करोड़ कर्मचारियों को झटका, ब्याज दर घटी, जानें CBT बैठक का बड़ा फैसला

Pooja Khodani
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EPFO PF interest rate

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। Employee Pension Scheme: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के 6.5 करोड़ से ज्यादा पीएफ खाताधारकों  को बड़ा झटका लगा है।मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक, EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (CBT Meeting Today) की गुवाहटी में चल रही बैठक में ब्याज दर  (interest rate) पर बड़ा फैसला हुआ है। बोर्ड ने पीएफ खाते पर मिलने वाला ब्याज घटा दिया है। 40 साल में यह पहला मौका है जब पीएफ पर कम ब्याज मिलेगा।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 8.1% ब्याज देने का फैसला किया गया है। 6 करोड़ से ज्यादा पीएफ खाता धारकों के लिए यह बेहद बड़ा झटका माना जा रहा है, हालांकि इस फैसले पर अभी वित्त मंत्रालय की मुहर लगनी बाकी है, यह प्रस्ताव अब वित्त मंत्रालय के पास जाएगा जहां पर अंतिम निर्णय होगा।सूत्रों के मुताबिक ये ब्याज दरें कम करने की सिफारिशें वित्त मंत्रालय  (Modi Government) की ओर से ही आई थीं और इन पर ईपीएफओ ने मंजूरी दी गई है।

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पहले ही संभावना जताई जा रही थी बोर्ड 2021-22 के लिए प्रॉविडेंट फंड डिपॉजिट्स पर ब्याज दर (interest rate) या तो स्थिर या फिर घटा सकता है।1977-78 में ईपीएफओ ने 8 फीसदी का ब्याज दिया था। उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे अधिक रही है। 11 मार्च शुक्रवार को ही ईपीएफओ की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई थी, जो आज खत्म हो गई है, जिसमें ईपीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला लिया गया है। माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते शेयर बाजारों पर पड़े असर से कमाई प्रभावित हुई है।

बता दे कि पिछले साल मार्च में सीबीटी ने वित्त वर्ष 2021 के लिए ईपीएफ (EPF) की जमाओं पर 8.5 फीसदी की ब्याज दर का फैसला किया था और फिर इसे अक्टूबर 2021 में वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिली थी जिसके बाद ईपीएफओ (EPFO) ने फील्ड ऑफिसेज को सब्सक्राइबर्स के खाते में ब्याज क्रेडिट करने के निर्देश दिए थे।

ब्याज दर अबतक

  • 2018-19 में ब्याज— 8.65 प्रतिशत
  • 2017-18 में ब्याज— 8.65 प्रतिशत
  • 2016-17 में ब्याज— 8.65 प्रतिशत
  • 2015-16 में ब्याज— 8.80 प्रतिशत
  • 2014-15 में ब्याज— 8.75 प्रतिशत
  • 2013-14 में ब्याज— 8.75 प्रतिशत

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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