कांस्टेबल कर्मियों के हित में हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, 2006 से मिलेगा वेतन वृद्धि-पदोन्नति का लाभ, दो महीने में प्रक्रिया पूरी करने के आदेश

Kashish Trivedi
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Employees, Constable Salary Hike, Allahabad High Court : हाई कोर्ट ने 22000 से अधिक सिपाही कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। दरअसल उन्हें 2006 से वेतन वृद्धि पदोन्नति सहित सभी सेवा लाभ उपलब्ध कराने के आदेश राज्य सरकार को दिए गए हैं।

उत्तर प्रदेश में सपा शासन काल के दौरान 2005-06 बैच में भर्ती किए गए 22000 सिपाही को सेवा से बाहर कर दिया गया था। कर्मचारियों द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22000 सिपाहियों के हित में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने इन सिपाहियों को 2006 से सेवा में निरंतर मानते हुए वेतन वृद्धि देने का निर्णय दिया है। साथ ही उन्हें प्रमोशन और अन्य सेवा लाभ भी उपलब्ध कराए जाएंगे। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा जारी शासन आदेश 17 फरवरी 2022 की व्यवस्था को आधार बनाते हुए हाई कोर्ट द्वारा निर्णय दिया गया है।

2006 से वेतन वृद्धि, पदोन्नति सहित सेवा लाभ उपलब्ध कराने के आदेश

कई जिलों में तैनात हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल द्वारा संयुक्त रूप से अलग-अलग याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें सिपाही नीरज कुमार पांडे, दीपक सिंह पोसवाल और अन्य याचिकाओं की सुनवाई की गई। हाई कोर्ट द्वारा याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा गया है कि 17 फरवरी 2022 के शासन आदेश के अनुपालन में 2005 2006 बैच के आरक्षी, पीएसी, सहायक परिचालक रेडियो विभाग के कांस्टेबल को 2006 से सेवा में निरंतर माना जाए और उन्हें पेंशन उपादान वार्षिक वेतन वृद्धि सहित पदोन्नति का लाभ दिया जाए।

याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका दाखिल की गई थी। जिसके बाद कांस्टेबल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सभी कांस्टेबल की भर्ती वर्ष 2005-06 में हुई थी। उनकी भर्ती सपा शासन काल के दौरान हुई थी। बसपा शासन काल आने पर इन्हीं नौकरी से निकाल दिया गया था। कांस्टेबल को गलत आधार पर नौकरी से निकल गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत 2009 में इन्हें सेवा में बहाल किया गया था। अधिवक्ता गौतम का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने दीपक कुमार केस में आदेश दिया था कि 2005-06 से आरक्षकों की नियुक्ति के दिनांक से सेवा में उन्हें निरंतर माना जाए। उन्हें सभी प्रकार का सेवा लाभ उपलब्ध कराया जाए।

गौतम ने दलील दी कि नियुक्ति के दिनांक से सभी सिपाही 16 वर्ष की सेवा पूरी कर द्वितीय प्रमोशन की अवधि को जोड़कर लाभ पाने के हकदार है लेकिन अभी तक शासन द्वारा उन्हें इसका लाभ नहीं दिया गया है। जिस पर हाईकोर्ट ने 17 फरवरी 2022 को जारी शासन आदेश को आधार मानते हुए उत्तर प्रदेश शासन, को आदेश दिया है कि शासन आदेश का पालन करते हुए याचिकर्ता कांस्टेबल की सेवा को निरंतर मानते हुए उनके पेंशन, वार्षिक वृद्धि, पदोन्नति, एसीपी का लाभ उन्हें प्रदान किया जाए और 2 महीने के अंदर इसके आदेश पारित किया जाए।


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