Employees Salary Fixation : हाईकोर्ट ने को फिर से कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। अपनी महत्वपूर्ण फैसले में हाईकोर्ट ने वेतन निर्धारण मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था किए है। जिसके तहत कर्मचारियों को बड़ा लाभ मिलेगा। जारी याचिका पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों से वसूली नहीं की जा सकती।
न्यायाधीश सत्येंद्र वैद्य याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्णय में कहा कि चतुर्थ-तृतीय श्रेणी के कर्मचारी से वसूली करना नियम के विरुद्ध है। अदालत ने स्पष्ट किया कि वेतन निर्धारण के समय की गई विसंगति पर कर्मचारियों को अधिक अदायगी की जाती है। हालांकि किसी भी परिस्थिति में इसकी वसूली नहीं की जा सकती है।
यह है मामला
दरअसल तृतीय श्रेणी के कर्मचारी बिहारीलाल और अशोक कुमार की तरफ से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि 1 जनवरी 1994 में बिहारी लाल और 1 जनवरी 1998 में अशोक कुमार लोक निर्माण विभाग में तैनात किए गए थे। 20 नवंबर 2013 को दोनों कर्मचारियों को एसीपी स्कीम का लाभ दिया गया था।
शासन ने दिए वसूली के आदेश
हालांकि 4 साल के बाद 3 अक्टूबर 2018 को विभाग द्वारा उन्हें दिए गए लाभ वापस लेने के निर्णय लिए गए थे। वेतन निर्धारित करते समय विभाग द्वारा याचिकाकर्ता बिहारीलाल को 50217 जबकि अशोक कुमार को ₹47225 के वसूली के आदेश पारित कर दिए गए हैं।
सभी वसूली आदेश रद्द
वही जारी याचिका पर दलील पेश करते हुए कर्मचारियों ने कहा कि विभाग द्वारा वेतन निर्धारण करते हुए उन्हें वित्तीय लाभ दिया गया और 5 वर्ष बाद वेतन विसंगति का हवाला देते हुए वसूली के आदेश दिए गए हैं। जिस पर अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए सभी वसूली आदेश को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारी और सेवानिवृत्त कर्मचारी से किसी भी तरह की वसूली नहीं होगी।