Sun, Dec 28, 2025

हजारों शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर, वेतनमान पर अपडेट, मंत्री का बड़ा बयान

Written by:Pooja Khodani
Published:
हजारों शिक्षकों-कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर, वेतनमान पर अपडेट, मंत्री का बड़ा बयान

रांची, डेस्क रिपोर्ट। झारखंड के 65000 पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापक) के लिए ताजा अपडेट है। वेतनमान पर राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का बड़ा बयान सामने आया है। शिक्षा मंत्री का कहना है कि पारा शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का अनुपालन नहीं हुआ है, ऐसे में वेतनमान नहीं दिया जा सकता। मंत्री के इस बयान से हजारों शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो का कहना है कि पारा शिक्षकों (सहायक अध्यापकों) को वेतनमान नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया है। अष्टमंंगल कमेटी के साथ हुई बैठक के आलाोक में नियमावली बनाई गई जिसमें पारा शिक्षकों के मानदेय में 40 से 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई। उसी समय तय हो गया था कि उन्हें वेतनमान नहीं दिया जा सकता है। ऐसे में उनके द्वारा फिर से वेतनमान की मांग करना गलत है।

मंत्री ने कहा कि पारा शिक्षक बिहार की तर्ज पर वेतनमान देने की मांग कर रहे हैं, जबकि बिहार में हुई नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर का पालन किया गया है। पारा शिक्षकों के मानदेय में चार प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देने का निर्णय लिया गया जबकि सरकारी शिक्षकों के वेतन में तीन प्रतिशत की ही वृद्धि होती है।इधर, मंत्री के इस बयान पर पारा शिक्षकों में रोष है।

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बता दे कि हाल ही में सामुदायिक सहायक अध्यापक (पारा शिक्षक ) प्रशिक्षित संघ ने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो बिहार के तर्ज पर आकलन परीक्षा झारखण्ड में भी आहूत की गई है। बिहार में 100 अंक का आंकलन परीक्षा उत्तीर्ण उपरान्त वेतनमान (ग्रेड पे सहित) दिया गया है। ठीक उसी प्रकार झारखण्ड में भी 100 अंक का आंकलन परीक्षा उत्तीर्ण के उपरान्त वेतनमान (ग्रेड पे सहित) दिया जाए। पहला आंकलन परीक्षा दिसम्बर 2022 के अंत और फिर हर छ: माह में नियमित रूप से आंकलन परीक्षा का आयोजन किया जाए ।

अन्य राज्यों की तर्ज पर मिले लाभ

उन्होंने मांग की थी कि जब तक राज्य के 62000 सहायक अध्यापकों को वेतनमान नहीं मिलता है तब तक पंचायत के अधीन केवल राज्य के 62000 सहायक अध्यापकों को नहीं किया जाए । यदि पंचायती राज के अधीन देना है तो बिहार, बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ व अन्य पडोसी राज्य के तर्ज पर केवल सहायक अध्यापकों को ही नहीं बल्कि पूरा प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को पंचायत राज्य के अधीन किया जाए । अन्यथा केवल सहायक अध्यापकों को करने से शोषित किया जाएगा।