पटना, डेस्क रिपोर्ट। कर्मचारियों-पेंशनरों के लिए राहत भरी खबर है। बिहार की पटना हाईकोर्ट ने सरकारी पेंशन (Hearing In Patna High Court) से जुड़े एक मामले पर अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने हाल ही में बिहार सचिवालय के कार्यालय द्वारा पारित एक आदेश को पलट दिया है, जिसमें एक कर्मचारी के खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक जांच को समाप्त किए बिना उसके 100% पेंशन लाभ को रोक दिया गया था।
हाई कोर्ट ने राज्य के सचिवालय अधिकारियों पर एक लाख का जुर्माना लगाया है, जिसे प्रतिवादियों को हाईकोर्ट के लीगल सर्विसेज कमेटी में दो माह में जमा करवाना है।जस्टिस पी वी बजनथ्री ने वासुदेव दास की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया है।
दरअसल, योजना एवं विकास विभाग के उप सचिव के पद पर तैनात कर्मचारी के खिलाफ चल रही विभागीय जांच को खत्म किए बिना ही बिहार सचिवालय ने उसकी पूरी पेंशन रोक लगा दी थी। मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा एक आदेश जारी कर उनके 100 फीसदी पेंशन बिना किसी अंतिम आदेश के पारित किए और बिहार पेंशन नियम की धारा 43 (बी) के तहत विभागीय कार्यवाही में सूचित किए बगैर रोक दी थी। जबकी कर्मचारी की तरफ से कारण बताओ नोटिस का जवाब भी प्रस्तुत कर दिया गया था और जैसे ही कर्मचारी रिटायर हुए तो अनुशासनात्मक प्राधिकारी ने महालेखाकार को पत्र लिखकर पेंशन रुकवा दी।
इसके बाद याचिकाकर्ता वासुदेव दास ने हाईकोर्ट के समक्ष आदेश को चुनौती दी। हाईकोर्ट के जज पीबी बजंथरी ने कहा कि बिहार पेंशन नियमों का पालन करने में चूक हुई है।कोर्ट ने याचिकाकर्ता को रिटायरमेंट के दिन से ही पेंशन का हकदार माना है, विभाग को कर्मचारी को 1 लाख रुपए का भुगतान करने के निर्देश दिए गए हैं।अनुशासनात्मक/नियुक्ति प्राधिकारी ने महालेखाकार को पत्र लिखते समय याचिकाकर्ता की पूरी पेंशन काटने की शॉर्ट सर्किट पद्धति अपनाई है।