CAA Notification: देश में केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर दिया गया है। दरअसल सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के माध्यम से भारत में आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का निर्णय लिया है। वहीं इस अधिसूचना के अनुसार, नागरिकता प्राप्ति की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिससे आवेदकों को किसी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। लेकिन देश में अब इसको लेकर जंग छिड़ गई है कि क्या CAA भारतीय मुसलमानों के लिए किसी खतरे की घंटी है? क्या यह भारतीय मुस्लिमों को किसी प्रकार से कोई नुकसान पहुंचा सकता है। तो चलिए आज हम इस लेख में आपको इसकी पूरी जानकारी देंगे। हम इस लेख में आपको बताएंगे की क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA) जिसे केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया है।
सबसे पहले जानते है क्या है CAA कानून?
दरअसल नागरिकता संशोधन कानून द्वारा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई धार्मिक समुदायों के अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। नागरिकता अधिनियम, 1955 में किए गए संशोधन के तहत, इस कानून से मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, बल्कि इसका लाभ सिर्फ उन अल्पसंख्यक वर्ग को होगा जो पिछले कई वर्षों से भारत में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। यह कानून धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले लोगों को समर्थन प्रदान करने का उद्देश्य रखता है, जो अब भारतीय नागरिकता के पात्र बन सकते हैं।
यानी इसका सीधा अर्थ है कि इस कानून के आ जाने के बाद किसी को भी अपनी नागरिकता का प्रमाण नहीं देना होगा। दरअसल देश में CAA कानून को लेकर एक अफवाह का दौर भी चल रहा है। दरअसल कई लोगों का कहना है की इसके आने से भारतीय मुस्लिमों को अपनी नागरिकता का प्रमाण देना होगा। हालांकि सच्चाई यह है की इस कानून के आ जाने से ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है।
किन दस्तावेजों की है जरूरत?
दरअसल नागरिकता संशोधन विधेयक द्वारा, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जा रही है, जो यहां अपने धर्म से जुड़कर उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आवेदकों को किसी अतिरिक्त दस्तावेज की आवश्यकता नहीं है। दरअसल यह कानून उन्हें भारत का नागरिक बना देगा। जिससे उन्हें भारत में मिलने वाली सभी सुख सुविधा प्राप्त होगी। वहीं सरकार ने रोहिंग्या मुद्दे के संबंध में एक स्पष्ट रूपरेखा बनाई है, जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत रूप से यात्रा करने वाले और धर्म के आधार पर अन्य शरणार्थियों को सुरक्षा देने की नीति अपनाई है। रोहिंग्या को वापस भेजने की योजना में कड़ा कदम उठाया जा रहा है।
मुसलमानों के खिलाफ है क्या CAA कानून?
देश में कई मुस्लिम संगठनों ने सीएए के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। इससे अब सवाल उठ रहा है की क्या यह कानून मुस्लिमों के खिलाफ है? दरअसल मुसलमान समुदाय का कहना है कि यह कानून उनके साथ भेदभाव कर रहा है और इससे उन्हें असुरक्षित महसूस हो रहा है। इससे एकता और अखंडता को नुकसान पहुंच रहा है, इसलिए सरकार को समानता के अधिकार का पालन करने की मानवाधिकारिक दृष्टिकोण से इसे पुनरावलोकन करने की आवश्यकता है। वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने सीएए को ‘आशा की एक नई किरण’ बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई समुदायों को नागरिकता प्रदान की जाएगी, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश से आकर यहां शरणा ग्रहण करने के बाद उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। इसके साथ ही गृहमंत्री द्वारा यह साफ किया गया है की यह कानून भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता पर कोई असर नहीं डाल रहा है। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा यह कोशिश की जा रही है की इन सवालों के जवाब दिए जा सके। लेकिन कई संगठन इस बात को नहीं मान रहे है।