न्योता ठुकराने पर विरोध से भड़की कांग्रेस ने BJP पर किया हमला, पूछा- मंदिर में कौन आएगा और कौन नहीं, ये बताने वाले आप कौन हैं? कार्यक्रम को राजनीतिक कहा

Atul Saxena
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Congress Ram Mandir controversy

Congress Ram Mandir controversy : कांग्रेस द्वारा राम मंदिर का न्योता अस्वीकार कर दिए जाने के बाद से देश की सियासत में बवाल मचा हुआ है, भारतीय जनता पार्टी इस फैसले के बाद कांग्रेस पर हमलावर है और देश की ये विश्वास दिलाने का पूरा प्रयास कर रही है कि कांग्रेस हिंदू विरोधी है, सनातन विरोधी है राम विरोधी है,  क्योंकि कांग्रेस ने ही राम को काल्पनिक बताकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया था और अब वो राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में भी जाने से इंकार कर चुकी है ये उसका चरित्र है,  उधर कांग्रेस का अपना तर्क है, कांग्रेस का कहना है कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा शास्त्र सम्मत नहीं है , चारों पीठ के शंकराचार्य भी नहीं जा रहे इसलिए जहाँ धर्म विरोधी कार्य हो वहां हम क्यों जाएँ, कांग्रेस ने तो इस कार्यक्रम को राजनीतिक कार्यक्रम कह दिया है।

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर साधा निशाना 

कांग्रेस के मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के चेयरमेन पवन खेड़ा आज मीडिया के सामने आये , उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाये, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाने साधे, पीएम पर खुद को भगवान राम से ऊपर समझने जैसे गंभीर आरोप लगाये और कहा कि राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का ये कार्यक्रम धार्मिक नहीं है ये राजनीतिक है, ये भाजपा का कार्यक्रम है। ये शास्त्र विरोधी कार्यक्रम है। ये धर्म विरोध कार्यक्रम है।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन को कांग्रेस ने बताया एक राजनीतिक कार्यक्रम  

पवन खेड़ा ने सवाल किये – क्या भगवान के मंदिर में निमंत्रण से जाया जाता है? किस तारीख को किस श्रेणी का व्यक्ति मंदिर जाएगा, क्या यह एक राजनीतिक दल तय करेगा? क्या एक राजनीतिक दल तय करेगा कि मैं अपने भगवान से मिलने कब जाऊं? उन्होंने कहा कि न इंसान किसी को मंदिर में बुला सकता है और न इंसान किसी को मंदिर जाने से रोक सकता है। किसी भी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का एक विधि विधान होता है, धर्म शास्त्र होते हैं। चारों पीठों के शंकराचार्य स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि एक अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती। ऐसे में अगर यह कार्यक्रम धार्मिक नहीं है, तो यह कार्यक्रम राजनीतिक है। एक राजनीतिक कार्यक्रम में मेरे और मेरे भगवान के बीच एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता बिचौलिए बनकर बैठ जाएं, हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे।

प्राण प्रतिष्ठा में VVIP एंट्री लगाने वाले आप कौन हैं? 

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हम जानना चाहते हैं मंदिर में कौन आएगा और कौन नहीं, ये बताने वाले आप कौन हैं?  प्राण प्रतिष्ठा में VVIP एंट्री लगाने वाले आप कौन हैं?  कैमरों की फौज लेकर आधी-अधूरी प्राण प्रतिष्ठा करने वाले आप कौन हैं? विज्ञापन में भगवान राम को उंगली पकड़ाकर चलाने वाले आप कौन हैं, क्या आप भगवान से ऊपर हैं? शंकराचार्यों को नाराज करके RSS के सरसंघचालक वहां जाकर बैठेंगे, प्रधानमंत्री मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा उनकी देखरेख में करेंगे। ये कतई धार्मिक आयोजन नहीं है, ये पूरी तरह राजनीतिक आयोजन है।

22 जनवरी की तारीख का चुनाव नहीं किया गया, बल्कि चुनाव देखकर तारीख तय की गई

उन्होंने कहा कि एक पूरा संगठन मेरे धर्म का ठेकेदार बनाकर बैठा है, इनकी पूरी IT सेल चारों पीठों के शंकराचार्यों के खिलाफ एक मुहिम छेड़कर बैठी है। इस पूरे आयोजन में कहीं भी धर्म, नीति और आस्था नहीं दिखाई दे रही, सिर्फ राजनीति दिखाई दे रही है। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की तारीख का चुनाव नहीं किया गया है, बल्कि चुनाव देखकर तारीख तय की गई है। किसी एक व्यक्ति के राजनीतिक तमाशे के लिए हम अपने भगवान और आस्था के साथ खिलवाड़ होते हुए नहीं देख सकते। मंदिर निर्माण का कार्य विधिवत पूरा हो, लेकिन इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक दखल कोई भी भक्त बर्दाश्त नहीं करेगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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