Dark Days Of Emergency : जेपी नड्डा का स्पीकर और डिप्टी स्पीकर की पोस्ट को लेकर कांग्रेस पर हमला, बोले “यह दोहरे मापदंड में जीते हैं”

12 जून, 1975 को इलाहाबाद की हाई कोर्ट का फैसला आया और कोर्ट ने अनुचित तरीके से चुनाव लड़ने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर दिया था और उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद संविधान को बदलकर इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने का प्रयास किया।

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Dark Days of Emergency : आपातकाल यानि इमरजेंसी (Emergency) को याद करते हुए आज भारतीय जनता पार्टी  के पार्टी कार्यालय में आज एक कार्यक्रम आयोजित किया, कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा विशेष तौर पर मौजूद थे, इस मौके पर उन्होंने आपातकाल के समय दी गई यातनाओं और संविधान के अपमान को याद किया, नड्डा ने कहा आज भी कांग्रेस के लोग दोहरे मापदंड में जी रहे हैं, जहाँ उनकी सरकारें हैं वहां उनका ही स्पीकर और उनका ही डिप्टी स्पीकर और यहाँ उन्हें स्पीकर से पहले डिप्टी स्पीकर चाहिए।

भाजपा ने आयोजित किया Dark Days of Democracy कार्यक्रम 

नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में ‘आपातकाल’ के विरोध में आयोजित ‘डार्क डेज ऑफ डेमोक्रेसी’ कार्यक्रम को संबोधित किया करते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि 25 जून को हम ‘काला दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। यह आवश्यक है, कि इमरजेंसी के रूप में प्रजातंत्र का गला घोंटने का जो कुत्सित प्रयास हुआ था, देश का प्रत्येक नागरिक उसे जान सके। 12 जून, 1975 को इलाहाबाद की हाई कोर्ट का फैसला आया और कोर्ट ने अनुचित तरीके से चुनाव लड़ने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर दिया था और उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद संविधान को बदलकर इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने का प्रयास किया।

25 जून 1975 की रात को लिया गया इंदिरा गांधी का फैसला बताया 

श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा देश के संविधान को बदलकर अपनी कुर्सी बचाने के प्रयास से पूरा देश उद्वेलित हो गया था। उद्वेलना को रोकने के लिए उन्होंने 25 जून 1975 की रात आपातकाल की घोषणा की और हजारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया, उन्हें 19 महीनों से ज्यादा जेल में रहना पड़ा,  प्रजातंत्र की रक्षा और मजबूती के लिए आवाज उठाने और संघर्ष करने वाले सभी देशभक्तों को मैं इस अवसर पर नमन करता हूँ।

नड्डा की लोगों से अपील – एक बार उनसे जरुर मिलें जिन्होंने इमरजेंसी देखी 

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने इमरजेंसी देखी है, इस सप्ताह आप उनसे जरूर मिलिए और उनसे जानने की कोशिश कीजिए कि भारत में कैसी परिस्थिति लाकर खड़ी कर दी गई थी। उस समय, जिन लोगों ने प्रजातंत्र की रक्षा के लिए अपनी आहुति दी थी, उनके कारण आज प्रजातंत्र मजबूत होकर खड़ा है। उन्होंने कहा कि हम वो लोग हैं जो प्रजातंत्र की लड़ाई प्रजातंत्र की ताकत से लड़ते हैं।

नड्डा का कांग्रेस पर हमला- ये दोहरे मापदंड में जीने वाले लोग 

लोकसभा स्पीकर का चयन आम सहमति से किये जाने की भारत की परंपरा को टूटने पर नड्डा ने कहा – आज तक कभी भी लोकसभा के स्पीकर का चुनाव सशर्त हुआ है? ये कह रहे हैं कि डिप्टी स्पीकर तय करो तब हम स्पीकर को समर्थन देंगे। तंज कसते हुए नड्डा वोले-  ये वो कह रहे हैं जिन्होंने तेलंगाना, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों अपने बनाए हैं। ये ऐसे लोग हैं, जो दोहरे मापदंड में जीते हैं।

 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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