राम मंदिर बनाने वाले हुए भावुक, बोले- हम भी वानर सेना का हिस्सा रहे होंगे, रामलला की मूर्ति को बच्चे की तरह सहेजा

Atul Saxena
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Ram Mandir Ayodhya , Ramlala

Ram Mandir Ayodhya Ramlala Pran Pratistha : पिछले कुछ दिनों से देश की भावना सामान्य दिनों से अलग है और आज इसका चरम है, 500 साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद आज अयोध्या में निर्मित भव्य राम मंदिर में रामलला की आकर्षक और मनमोहक मूर्ति स्थापित की गई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बाई पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित पुरोहितों, आचार्यों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई, देश की भावना से हम सब बहुत दिनों से परिचित हैं लेकिन यहाँ हम आपको उस कंपनी के वर्कर्स, इंजीनियर्स की भावना के बारे में बताने जा रहे हैं …

एक विशेष भावना के साथ हुए अयोध्या राम मंदिर का निर्माण 

अयोध्या के भव्य राम मंदिर को निर्माण के क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो यानि एल एंड टी यानि L & T ने बनाया है, पिछले तीन साल से बिना रुके, बिना थके, सभी मौसम का प्रभाव झेलते हुए कंपनी के इंजीनियर्स और वर्कर्स ने अयोध्या में भव्य राम  मंदिर का निर्माण किया है। इस निर्माण में जितना उनका स्किल लगा है उससे अधिक उनकी राम के प्रति भक्ति और एक खास भावना भी लगी है।

इंजीनियर्स और वर्कर्स बोले – कोई पुनर्जन्म का कनेक्शन रहा होगा, हम भी वानर सेना का हिस्सा रहे होंगे

पिछले कुछ दिनों से देश का मीडिया भी इस मंदिर की भव्यता को जनता तक पहुंचा रहा है, इसी मीडिया ने जब राम मंदिर को बनाने वालों से बात की तो उन्होंने जो कुछ कहा वो बहुत अद्भुत था। राम मंदिर निर्माण में जुटे लोग बोले- ये काम कठिन था, चुनौतीपूर्ण था लेकिन ये आम काज था तो कोई भी चुनौती हमारे आड़े नहीं आई, हमें तो ये लगता है कि हमारा कोई पुनर्जन्म का कनेक्शन रहा होगा, हम भी वानर सेना का हिस्सा रहे होंगे, आज आंसू आ रहे हैं और ख़ुशी भी हो रही है।

मूर्ति को उठाते समय महसूस हुई एक अलग तरह की ऊर्जा

इंजीनियर्स बोले हमने जब मूर्ति को उठाया तो हमारे शरीर को एक अलग तरह की ऊर्जा महसूस हुई, वो ऊर्जा जो पांच से सौ साल से दबी हुई थी, हालाँकि हमने मूर्ति को तब देखा भी नहीं था लेकिन मूर्ति में बसे प्रभु श्री राम ने हमें ऊर्जा महसूस कराई। उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी ने लाखों निर्माण किये हैं, कई बड़े बड़े मंदिर बनाये हैं लेकिन राम मंदिर को बनाते समय हमारे मन में जो भावना थी उसे व्यक्त नहीं कर सकते, हमें जो टारगेट मिला उससे ज्यादा काम किया हम लोगों ने।

बच्चे की तरह रामलला की मूर्ति को सहेजा और गर्भगृह तक पहुंचाया  

मंदिर में विराजी 5 साल के रामलला की 51 इंच की डेढ़ क्विंटल वजनी मूर्ति को वाहन से लाकर क्रेन से उतारकर, मंदिर के अंदर गर्भगृह तक पहुंचाने वाली टीम की बातें आँखों में आंसू लाने वाली थी। उन्होंने बताया कि हम किसी भी तरह की रिस्क नहीं चाहते थे, जिस वाहन पर मूर्ति लाई गई हमने उसकी हर बिंदु पर जांच की, मूर्ति को बच्चे की तरह सहेजा, उसके आसपास लकड़ी का बुरादा लगाया, लकड़ी के बुरादे के कुशन लगाये जिससे वो हिले डुले नहीं, क्रेन से उतारते समय एक झूला बनाया, उसपर मूर्ति को रखा और फिर जैसे बच्चे को गोद में उठाते हैं वैसे भगवान को उठाया और फिर गर्भगृह तक पहुँचाया।

L & T ने कहा कि राम मंदिर बहुत भव्य, इसमें स्टील का बिलकुल भी उपयोग नहीं  

एल एंड टी की टीम ने कहा कि हमें तीन साल में इस मंदिर के अधिकांश निर्माण को पूरा कर लिया है, उन्होंने कहा कि हमारी कंपनी ने बहुत से मंदिर बहुत से बिल्डिंग बनाई हैं लेकिन ये बहुत अलग और स्पेशल है, इसमें कहीं भी स्टील यानि लोहे, आरसीसी का प्रयोग नहीं किया गया, इसे एक विशेष भावना के साथ बनाया गया है जिसमें रामलला विराजे हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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