कर्मचारियों-पेंशनरों के लिए अच्छी खबर! 2024 में फिर इतने प्रतिशत बढ़ सकता है महंगाई भत्ता, AICPI इंडेक्स के नए नंबर जारी, जानें अपडेट

Pooja Khodani
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7th pay commission da hike

7th Pay Commission DA Hike 2023 : केन्द्र की मोदी सरकार ने दिवाली से पहले केंद्रीय कर्मचारियों पेंशनरों को महंगाई भत्ते, दिवाली बोनस और 3 महीने के एरियर का तोहफा दे दिया है। नवंबर में कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनरों की पेंशन बढ़कर आई है, वही उन्हें 3 महीने के एरियर और बोनस का भी लाभ दिया गया है। वही अब अगला महंगाई भत्ता 2024 में रिवाइज किया जाएगा, हालांकि अगली बार कितनी वृद्धि होगी, यह AICPI इंडेक्स के छमाही आंकड़ों पर निर्भर करेगा।सितंबर तक आए AICPI इंडेक्स के आंकड़ों से कयास लगाए जा रहे है कि नए साल में डीए 50% या इससे पार हो सकता है।

2024 में फिर कितना 4 से 5% तक बढ़ सकता है DA

दरअसल, केन्द्र सरकार द्वारा साल में दो बार जनवरी और जुलाई में केन्द्रीय कर्मचारियों-पेंशनरों के DA/DR की दरों में संशोधन किया जाता है, जो की AICPI इंडेक्स के छमाही के आंकड़ों पर निर्भर करता है। 2023 के लिए नई दरों का ऐलान कर दिया गया है और अब अगला डीए साल 2024 में रिवाइज किया जाएगा, जो जुलाई से दिसंबर 2023 के AICPI इंडेक्स के आंकड़ों पर निर्भर करेगा।

जुलाई अगस्त के AICPI इंडेक्स के नंबर के बाद अब सितंबर 2023 के आंकड़े जारी कर दिए गए है, सितंबर में अखिल भारतीय सीपीआई-आईडब्ल्यू 1.7 अंक घटकर 137.5 पर पहुंच गया है बावजूद इसके डीए का स्कोर 48.54 फीसदी आ गया है, क्योंकि अब तक के अंकों में 2.50 फीसदी का उछाल आ चुका है।अभी अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर के आंकड़े जारी होने बाकी है। अगर अक्टूबर में ये आंकड़ा 49% को पार करता है तो दिसंबर तक इसके 50% पार करने की उम्मीद है, ऐसे में फिर 4% डीए बढ़ सकता है, हालांकि  अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर के आंकड़ों से तय होगा कि जनवरी 2024 में कितना DA बढ़ेगा और अंतिम फैसला केन्द्र सरकार द्वारा ही लिया जाएगा।

क्या लागू होगा नया वेतन आयोग

  • अगर अगले साल जनवरी 2024 के लिए डीए की दरों में फिर 4%  की वृद्धि होती है तो DA 50% पर पहुंच जाएगा, ऐसे में कर्मियों की सैलरी रिवाइज होगी क्योंकि केन्द्र सरकार ने 7TH Pay Commission का गठन के साथ ही DA के रिविजन के नियमों को तय किया था कि डीए 50% होने पर शून्य हो जाएगा, 50% डीए को मौजूदा बेसिक सैलरी में जोड़कर दिया जाएगा और डीए की गणना शून्य से शुरू होगी।वही कई तरह के भत्तों में भी 25% तक की बढ़ोतरी हो जाएगी।
  • 7वाँ वेतन आयोग 2013 में गठित हुआ था, जबकि इसकी सिफ़ारिशें 2016 में लागू हुई थी, ऐसे मे कयास लगाए जा रहे है कि अगर डीए 50% पहुंचता है तो शून्य होता है तो सरकार को नए वेतन आयोग (8th pay commission) का गठन करना होगा या फिर सैलरी बढ़ाने को लेकर कोई नया नियम लाना होगा। चुंकी अबतक हर 10 सालों में नए वेतन आयोग का गठन होता आया है, ऐसे में सरकार को 2024 में नए वेतन आयोग पर विचार करना पड़ सकता है, हालांकि अभी तक अधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है।

ऐसे होती है महंगाई भत्ते की गणना

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए डीए इस आधार पर कैलकुलेट होता है- {पिछले 12 महीनों का औसत ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स ( बेस ईयर-2001=100-115.76/115.76}X100. सेंट्रल पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों के लिए फॉर्मूला इस तरह है- { 3 महीनों का ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का औसत ( बेस ईयर-2001=100-126.33/126.33}X100।दूसरे शब्दों में कहें तो महंगाई भत्ते का कैलकुलेशन डीए का मौजूदा रेट और बेसिक सैलरी में गुणा के आधार पर महंगाई भत्ते की रकम निकाली जाती है।

AICPI इंडेक्स सितंबर 2023 के आंकड़ों पर एक नजर

  • श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के संबद्ध कार्यालय श्रम ब्यूरो द्वारा देश के 88 महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्रों के 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा मूल्यों के आधार पर हर महीने औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का संकलन किया जाता है। यह सूचकांक 88 केंद्रों और अखिल भारतीय स्तर के लिए संकलित किया जाता है और आगामी महीने के अंतिम कार्यदिवस पर जारी किया जाता है। इस प्रेस विज्ञप्ति में सितंबर, 2023 महीने का सूचकांक जारी किया जा रहा है।
  • सितंबर 2023 के लिए अखिल भारतीय सीपीआई-आईडब्ल्यू 1.7 अंक घटकर 137.5 (एक सौ सैंतीस दशमलव पांच) हो गया। एक महीने के प्रतिशत परिवर्तन के आधार पर, पिछले महीने की तुलना में इसमें 1.22 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि एक साल पहले इसी महीने के दौरान 0.84 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी।सितंबर 2023 के लिए वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति 4.72 प्रतिशत रही जबकि पिछले महीने यह 6.91 प्रतिशत थी और एक वर्ष पहले इसी महीने में यह 6.49 प्रतिशत थी। इसी तरह, खाद्य-स्फीति दर पिछले महीने के 10.06 प्रतिशत की तुलना में 6.52 प्रतिशत रही जबकि एक वर्ष पहले इसी महीने के दौरान यह 7.76 प्रतिशत थी।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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