नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। 12 नवंबर को हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है, इससे पहले राज्य में पुरानी पेंशन योजना को लेकर हलचल तेज जारी है। एक तरफ सत्ता पक्ष बीजेपी बीच का रास्ता निकालने में जुटी है, तो वही कांग्रेस इसे मुद्दा बनाकर भुनाने में जुटी हुई है। कांग्रेस ने ऐलान किया है कि सत्ता में आते पहली कैबिनेट में पुरानी पेंशन योजना को मंजूरी दी जाएगी।कांग्रेस ने इसे अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया है। इसी बीच पुरानी पेंशन को लेकर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का बड़ा बयान सामने आया है।
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मंगलवार को एक सभा को संबोधित करते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए और जो लोग कह रहे हैं कि इससे राजकोष पर बोझ पड़ेगा, वह सही नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह वित्तीय प्रबंधन के बारे में है। मुझे लगता है कि ओपीएस देश में लागू की जानी चाहिए और एक दिन आएगा जब केंद्र को यह करना होगा।उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्र ओपीएस पर चर्चा के लिए भी तैयार नहीं है।
हाल ही में हिमाचल में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा था कि छत्तीसगढ़ व राजस्थान में पुरानी पेंशन लागू की। हम हिमाचल में भी OPS लागू करेंगे।जहां-जहां भी कांग्रेस की सरकारें बनेंगी वहां वहां हम पुरानी पेंशन बहाल करेंगे ।जो बीजेपी की वाजपेई सरकार ने बंद कर दी थी । राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हम यह लागू कर चुके हैं । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी ऐलान कर चुके है कि पुरानी पेंशन 2004 से बंद हुई है, इसे शुरू भी उसी दिन यानी 2004 से ही लाभ दिया जाएगा।
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वही राजस्थान सीएम अशोक गहलोत और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हिमाचल में पुरानी पेंशन योजना की बहाली की घोषणा की है कि राज्य में सरकार बनते ही पहली मंत्रिमंडल बैठक में पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाएगा। बता दे कि हिमाचल प्रदेश की सभी 68 विधानसभा सीटों के लिए 12 नवंबर को मतदान होगा और 8 दिसंबर मतगणना होगी।
गौरतलब है कि पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है और 14 फीसदी हिस्सा सरकार मिलाती है। पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में जीपीएफ की सुविधा नहीं हैष पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी। जबकि नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।