Good News: इन कर्मचारियों के मानदेय में वृद्धि, हर महीने इतनी बढ़कर आएगी सैलरी

Pooja Khodani
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2000 Rupee Note Exchange,

देहरादून, डेस्क रिपोर्ट। उत्तराखंड के कर्मचारियों (Uttarakhand employees)की बल्ले बल्ले हो गई है। पुष्कर धामी सरकार ने 11 प्रतिशत महंगाई भत्ते और राहत (7th Pay Commisson) बढ़ाने के बाद दिवाली से पहले उपनल कर्मचारियों भी बड़ी सौगात दे दी है। इसके तहत उपनल कर्मचारियों के मानदेय बढ़ाने का फैसला लिया गया है, जिसके बाद कर्मचारियों की सैलरी में हर महीने 2 से 3 हजार की बढ़ोत्तरी होगी। इस संबंध में उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand) ने आदेश भी जारी कर दिए है।इससे करीब 22 हजार कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।

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दरअसल, हाल ही में  सीएम पुष्‍कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक (Cabinet Meeting) में उपनल कर्मचारियों के मानदेय बढ़ाने पर फैसला लेते हुए वृद्धि की गई है।22 हजार कर्मचारियों की यह बढ़ोत्तरी 2 स्लैब में की गई है। इसके तहत उपनल कर्मचारियों के लिए 2000 और 3000 रुपये मानदेय में बढ़ोतरी की गई थी।10 साल से अधिक सेवा देने वाले उपनल कर्मचारियों का मानदेय 3000 और 10 साल से नीचे सेवा करने वाले उपनल कर्मचारियों का 2000 मानदेय बढ़ाया जाएगा।

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो खास बात ये है कि इस राशि में कोई अतिरिक्त कटौती नहीं होगी। सरकार ने इस वृद्धि को उपनल कर्मियों को हर तीसरे महीने मिलने वाले 8400 रुपये के प्रोत्साहन भत्ते के साथ जोड़ा गया है। गुरूवार को अपर सचिव सैनिक कल्याण मेजर योगेंद्र यादव  ने नई व्यवस्था के आदेश किए, जिसमें कहा गया है कि 10 साल से कम सेवा वाले कर्मचारी को हर तीसरे महींने 14 हजार 400 रुपये मिलेंगे। जबकि 10 साल से ज्यादा सेवा कर चुके कर्मी को 17 हजार 400 रुपये। पहले दोनों श्रेणी के कर्मचारियों हर तीसरे महीने 8400 रुपये बतौर प्रोत्साहन भत्ता मिला करते थे।

सीएम के फैसले से कर्मचारी नाराज

इधर, सीएम के इस फैसले से कर्मचारियों में नाराजगी है।उपनल कर्मचारियों का कहना है कि मानदेय में 2-3 हजार की बढ़ोत्तरी गलत है, राज्य सरकार द्वारा उपनल कर्मचारियों की मांगों को लेकर जो उप समिति बनाई गई थी उसकी रिपोर्ट कैबिनेट में नहीं रखी गई है, जिससे नाराज होकर कर्मचारियों ने एक बार फिर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।अगर अगली बैठक में इस पर फैसला नहीं हुआ तो अक्टूबर के अंत में फिर सड़कों पर उतरेंगे और बड़ा आंदोलन करेंगे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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