Supreme Court Decision: सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में सुनवाई के दौरान भेदभाव को कम करने के बड़ा फैसला लिया है। सर्वोच्च अदालत से महिलाओं के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाया है। इस संबंध में नई शब्दावली जारी की गई है। शीर्ष कोर्ट ने 30 पन्नों का “हैंडबुक ऑफ कॉम्बैक्टिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स” लॉन्च किया है, जिसमें उन सभी शब्दों को शामिल किया गया है, जो लैंगिक रूढ़िवाद को दर्शाते हैं। अब अदालतों में छेड़छाड़, प्रॉस्टिटूट, मिस्ट्रेस, देह व्यापार, वैश्या, हाउसवाइफ, Eve Teasing जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक रूढ़िवाद प्रदर्शित करने वाले शब्दों के स्थान पर वैकल्पिक शब्दों का सुझाव किया है, जिनके इस्तेमाल की अनुमति सुनवाई के दौरान होगी। शीर्ष अदालत ने बयान जारी करते हुए कहा कि, ” हैंडबुक महत्वपूर्ण मुद्दों, खासकर यौन हिंसा से संबंधित मुद्दों पर प्रचलित कानूनी सिद्धांत को भी समाहित करती है। हैंडबुक का लॉन्च एक न्यायसंगत समाज की दिशा में महत्वपूर्ण मिल का पत्थर है।”
महिलाओं के गुणों के बारे में SC का बयान
इसके अलावा हैंडबुक में महिलाओं के गुणों के बारे में कुछ धारणाओं को भी सूचीबद्ध किया गया है और इन्हें गलत बताया है। महिलाओं का अत्यधिक भावुक होना, निर्णय न ले पाना और अतार्किक होना रूढ़िवादी सोच है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “किसी इंसान का लिंक उसकी तर्कसंगत विचार क्षमता को प्रभावित नहीं करता। अविवाहित महिलायें अपने जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय नहीं ले सकती, यह भी रूढ़िवादी सोच है। जबकि सच यह है कि विवाह किसी व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित नहीं करता।”