धारवाड़, डेस्क रिपोर्ट। हाईकोर्ट (High court) ने कर्मचारियों (Employees) को बड़ी राहत देते हुए एकल बेंच के निर्णय को यथावत रखा है और कहा है कि कर्मचारियों को 2 वर्ष सेवा अवधि का लाभ मिलना चाहिए। इसके साथ ही एकल बेंच के आदेश को जारी रखते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु (Employees Retirement age) 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किया जाए। वही 58 वर्ष की उम्र में जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें उनके पिछले वेतन (Arrears) की अदायगी की जाए।
धारवाड़ में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मेसर्स ग्रासिम इंडस्ट्रीज के प्रबंधन द्वारा दायर एक इंट्रा-कोर्ट अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गई है। जिसने श्रम आयुक्त द्वारा पारित प्रमाणित स्थायी आदेश के संशोधन को बरकरार रखा था, जिसमे कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु को 58 से 60 वर्ष तक बढ़ाया था।
इधर एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए डबल बेंच के समक्ष याचिका दायर की गई थी। जिसमें अपीलकर्ता ने दलील दी कि नियोक्ता और संघ के बीच आपसी समझौते के अनुसार सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष निर्धारित की गई थी, और इसलिए वैधानिक प्राधिकरण संघ के कहने पर इस तरह के समझौते में हस्तक्षेप नहीं कर सकते थे। अपीलकर्ता ने यह भी प्रस्तुत किया कि सेवानिवृत्ति की आयु को 60 वर्ष तक बढ़ाने से प्रतिष्ठान को महत्वपूर्ण वित्तीय लागत आएगी।
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हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति पी कृष्णा भट की खंडपीठ ने अपील को खारिज करते हुए कहा कि अपीलकर्ता को प्रमाणित स्थायी दिनांक 17.03.2018 से आदेश के खंड 29 में संशोधन के संदर्भ में 60 वर्ष की आयु तक कामगारों को अपनी सेवा में जारी रखने का निर्देश दिया जाता है।
इससे पहले कोर्ट के एकल पीठ के फैसले को यथावत रखते हुए हाई कोर्ट की डबल बेंच ने आदेश दिए है कि वे वर्तमान में अपने पेरोल पर काम करने वाले कर्मचारियों के रोजगार को तब तक जारी रखें, जब तक कि वे 60 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेते है। वहीँ संशोधन के लागू होने पर या उसके बाद 58 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले कामगारों के संबंध में न्यायालय ने अपीलकर्ता को निर्देश दिया कि वे ऐसे कामगारों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख और उनके सेवानिवृत की सही तारीख के बीच की अवधि के लिए उनके पिछले वेतन का भुगतान करें, जिस पर वे 60 वर्ष या मृत्यु की तारीख, जो भी पहले हो, प्राप्त करते हैं।
दरअसल कर्नाटक औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) नियम, 1961 को 27 मार्च 2017 की अधिसूचना के माध्यम से संशोधित किया गया था, जिसके तहत राज्य सरकार ने कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष (संशोधन) से बढ़ाकर 60 वर्ष करने के लिए मॉडल स्थायी आदेशों को संशोधित किया। इस संशोधन के प्रभाव में, मॉडल स्थायी आदेश यह प्रदान करते हैं कि सेवानिवृत्ति की आयु “60 वर्ष या ऐसी अन्य आयु हो सकती है जो नियोक्ता और कामगार के बीच किसी भी समझौते, निपटान से सहमत हो सकती है।
हालांकि शुरुआत में न्यायालय ने स्वीकार किया कि सेवानिवृत्ति/अधिवर्षिता आयु का निर्धारण नियोक्ता के विशेषाधिकार के दायरे में आता है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि एक कल्याणकारी राज्य में, इस तरह के विशेषाधिकार के आसपास विधायी विनियमन हो सकता है।
किसी भी रोजगार में सेवानिवृत्ति की आयु का निर्धारण कार्य आबादी की समकालीन जीवन प्रत्याशा को ध्यान में रखते हुए किया जाता है लेकिन जब राज्य सरकार ने संशोधन लाया है और सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाकर 60 वर्ष कर दिया, तो कार्यबल की बढ़ी हुई जीवन प्रत्याशा को देखते हुए ऐसा ही किया जाना चाहिए और इसे मान्य किया जाना चाहिए।