पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग तेज, कर्मचारियों ने दी सरकार को चेतावनी, क्या मिलेगा लाभ?

Pooja Khodani
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जम्मू, डेस्क रिपोर्ट। आगामी चुनावों से पहले देशभर में पुरानी पेंशन योजना चर्चाओं में बनी हुई है। एक तरफ कांग्रेस और आप ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आते ही पुरानी पेंशन योजना की बहाली का वादा किया है, तो वही राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब में लागू होने के बाद अब देशभर में पुरानी पेंशन योजना को बहाली करने की मांग तेज होने लगी है।

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इसी कड़ी में अब जम्मू कश्मीर के विभिन्न विभागों के सरकारी कर्मचारियों ने एलजी प्रशासन से पुरानी पेंशन को बहाल करने और नई पेंशन नीति को रद्द करने की मांग तेज कर दी है। साथ ही जल्द कदम नहीं उठाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। इस संबंध में रविवार को ऑल इंडिया पेंशन रिस्टोरेशन यूनाइटेड फ्रंट (AIPRUF), नेशनल ओल्ड पेंशन रिस्टोरेशन यूनाइटेड फ्रंट (NOPRUF), इंप्लाइज ज्वाइंट एक्शन कमेटी (R), जेके टीचर्स एसोसिएशन (JKTA) आदि संगठनों की संयुक्त बैठक हरि सिंह पार्क में हुई।

ट्रेड यूनियन नेताओं का कहना है कि न्यू पेंशन स्कीम पूरी तरह से कर्मचारियों के खिलाफ है, यह न्यूनतम पेंशन की गारंटी भी नहीं देता है। राज्य सरकार को अध्यादेश को तुरंत वापस लेना चाहिए और केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों को पुरानी पेंशन योजना की अनुमति देनी चाहिए, जो 1 जनवरी 2010 के बाद अपनी सेवाओं में शामिल हुए हैं, अन्यथा यह संघर्ष जारी रहेगा।

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इसके पहले नेशनल मूवमेंट फार ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के बैनर तले सरकारी कर्मचारियों ने प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन कर ओपीएस की मांग उठाई थी। संघ का कहना था कि केन्द्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को रद्द कर 2004 में नई योजना लागू की। जम्मू-कश्मीर में इसे 2010 में लागू किया, नए पेंशन योजना के तहत सेवानिवृत्त के बाद कर्मचारियों को सिर्फ 1500 रुपये मिल रही है, ऐसे में अन्य राज्यों की तरह सरकार को पुरानी पेंशन जल्द बहाल करना चाहिए। अगर सरकार ने मांगें नहीं मानी तो वह जिला और प्रदेश स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होंगे, वे इसे लेकर लगातार प्रदर्शन करेंगे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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