लातेहार, डेस्क रिपोर्ट। झारखंड के लातेहार जिले में एक हादसें ने लोगो को गमगीन कर दिया। हादसें में 07 मासूम अपनी जा गवां बैठी। आदिवासी पर्व करमा पूजन के बाद डाली का विसर्जन करने गई 10 लड़कियों की टोली में से सात लड़कियों की शनिवार को तालाब में डूबने से मौत हो गई इनमें से छह बच्चियां एक ही परिवार की थीं। घटना शनिवार दोपहर लगभग 12 बजे के करीब जि़ले के बालूमाथ प्रखंड में शेरागड़ा पंचायत के बुकरू गांव के मननडीह में घटी।
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घटना की जानकारी लगते ही पुलिस प्रशासन और आम लोग मौके पर पहुँचे। सभी मृत लड़कियों के शव तालाब से निकाल लिये गये हैं और उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भेजा गया। मृत सभी लड़कियों की उम्र 12 वर्ष से 20 के बीच है। उपायुक्त ने बताया कि मौके पर राहत एवं बचाव कार्य के बाद मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिये गये हैं और पूरी घटना की जांच उप उपायुक्त सुरेन्द्र वर्मा करेंगे।
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बताया जा रहा है कि गांव की 10 बच्चियों की टोली करम डाली को लेकर गांव में ही रेलवे लाइन के समीप बने तालाब में विसर्जन करने गई थी। वृक्षों के पत्तों एवं डालियों से बनी पूजा की डाली का विसर्जन हो ही रहा था कि अचानक दो बच्चियां गहरे पानी में चली गईं और डूबने लगी, उन्हें बचाने के लिए बाकी की पांच लड़कियां भी गईं और सातों लड़कियां डूब गईं।
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करमा पर्व भाई-बहन के सदभाव स्नेह और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व का इंतजार कुंवारी व विवाहित बहनें बेसब्री से करती हैं। करमा के लोकगीतों में भाई-बहनों के स्नेह, प्यार, खुशी, दर्द व पीड़ा झलकती है। करमा पर्व भारत के झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा में मनाया जाता है। करमा पर्व 7 दिनों तक चलता रहता है। इस पर्व की शुरुआत तीज पर्व के संपन्न होने के बाद शुरू हो जाती है। तीज का डाला सुबह नदियों व तालाबों में विसर्जन किया जाता है। वहीं शाम को कुंवारी बहनों के द्वारा करमा का डाला स्थापित किया जाता है। कुंवारी बहनें अपने-अपने घरों से गीत गाते हुए बांस के डाला लेकर नदी व तालाब पहुंचती हैं। जहां वे स्नान कर नदियों व तलाबों से डाला में बालू लाकर अखाड़ों में सारी बहनें बैठती हैं। उसी दौरान डाला में विभिन्न तरह के बीजों को जौ के साथ बुनती हैं।