चिट्ठी आई है : पंकज उधास गए उस देस..जहां चिट्ठी न कोई संदेस, अपनी इस मशहूर गीत से दुनियाभर के हिंदुस्तानियों को एक सूत्र में बांधा

पंकज के गीतों की कैसेट लोगों के घरों से लेकर हर गली नुक्कड़ पर पान की दुकानों, टेम्पो ऑटो में सुनने को मिल जाती थी , वे आम इंसान के बीच के कलाकार थे उनकी गायकी सादगी भरी थी, ना ज्यादा मुर्किया ना हरकतें ना आलाप लेकिन रूहानियत इतनी कि लोगों के दिल में उतर जाती ।

Pankaj Udhas

Pankaj Udhas Passed Away: गीत और गजल की दुनिया का एक अजीम फनकार पंकज उधास आज इस दुनिया को अलविदा कह गया, वे लंबे समय से बीमार थे, बेटी नायाब उधास ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट के जरिये इस तकलीफ देने वाली खबर पंकज जी चाहने वालों तक पहुंचाई, उनके गाये गीतों में गजलों में इतनी रूहानियत होती थी कि उसे सुनने वाले को गीत और गजल के अल्फाज उसके अपने लगते थे वो उसमें खो जाता था। भारत सरकार ने उन्हें 2006 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।

चांदी जैसे रंग है तेरा….सुपर डुपर हिट हुआ 

पंकज उधास ने “चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल, एक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल” जैसे गीत पर खूब तालियाँ और सीटियाँ बटोरी, 1988 में आई फिल्म एक ही मकसद भले ही हिट नहीं हुई लेकिन पंकज उधास द्वारा गया ये गीत, सुपरहिट हो गया ये  इतना मशहूर हुआ कि वे देश दुनिया में वे कहीं भी जाते स्टेज पर इस गीत की फरमाइश जरुर होती।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....