चिट्ठी आई है : पंकज उधास गए उस देस..जहां चिट्ठी न कोई संदेस, अपनी इस मशहूर गीत से दुनियाभर के हिंदुस्तानियों को एक सूत्र में बांधा

पंकज के गीतों की कैसेट लोगों के घरों से लेकर हर गली नुक्कड़ पर पान की दुकानों, टेम्पो ऑटो में सुनने को मिल जाती थी , वे आम इंसान के बीच के कलाकार थे उनकी गायकी सादगी भरी थी, ना ज्यादा मुर्किया ना हरकतें ना आलाप लेकिन रूहानियत इतनी कि लोगों के दिल में उतर जाती ।

Atul Saxena
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Pankaj Udhas Passed Away: गीत और गजल की दुनिया का एक अजीम फनकार पंकज उधास आज इस दुनिया को अलविदा कह गया, वे लंबे समय से बीमार थे, बेटी नायाब उधास ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट के जरिये इस तकलीफ देने वाली खबर पंकज जी चाहने वालों तक पहुंचाई, उनके गाये गीतों में गजलों में इतनी रूहानियत होती थी कि उसे सुनने वाले को गीत और गजल के अल्फाज उसके अपने लगते थे वो उसमें खो जाता था। भारत सरकार ने उन्हें 2006 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।

चांदी जैसे रंग है तेरा….सुपर डुपर हिट हुआ 

पंकज उधास ने “चांदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल, एक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल” जैसे गीत पर खूब तालियाँ और सीटियाँ बटोरी, 1988 में आई फिल्म एक ही मकसद भले ही हिट नहीं हुई लेकिन पंकज उधास द्वारा गया ये गीत, सुपरहिट हो गया ये  इतना मशहूर हुआ कि वे देश दुनिया में वे कहीं भी जाते स्टेज पर इस गीत की फरमाइश जरुर होती।

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ना कजरे की धार … में प्रेमी अपनी प्रेमिका को देखता था 

1994 में आई सुनील शेट्टी की मोहरा फिल्म का सुपरहिट गीत “ना कजरे की धार, ना मोतियों का हार, न कोई किया सिंगार फिर भी कितनी सुन्दर हो तुम कितनी सुन्दर हो” कोई नहीं भूल सकता , पंकज उधास के गाये हिंदी फ़िल्मी गीतों में ये एक ऐसा गीत है जो हर युवा की धड़कन हुआ करता था, इस गीत में वो अपनी प्रेयसी को देखता था।

चिट्ठी आई है …ने पंकज उधास को रातों-रात स्टार बना दिया 

अब बात करते है एक ऐसे गीत की जिसने पंकज उधास को इतनी शोहरत दी जिसके बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा, 1986 में आई संजय दत्त, कुमार गौरव अमृता सिंह स्टारर फिल्म “नाम” का वो मशहूर गीत “चिट्ठी आई है…आई है..आई है.. चिट्ठी आई है..बड़े दिनों के बाद ..हम बेवतनों को याद , वतन की मिटटी आई है। इस गीत ने पंकज उधास को भी रातों रात स्टार बना दिया।

आज भी विदेश में बैठा व्यक्ति जब ये गीत सुनता है तो आंसू नहीं थमते  

फिल्म में ये गीत पंकज उधास पर ही फिल्माया गया था, वे स्टेज पर थे और लोग एक बड़े से हॉल में बैठकर उन्हें सुन रहे हैं, पंकज उधास जैसे जैसे गीत को आगे लेकर जाते है हॉल में बैठे सैकड़ों लोगों की आँखों में आंसू भर आते हैं, आनंद बक्षी द्वारा लिखा और लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल द्वारा संगीतबद्ध किया गया ये गीत आज भी विदेश में बैठे उन लोगों को अपना सा लगता है जब उन्हें वतन की याद आती है, आज भी विदेश में बैठे बहुत से लोगों के घरों में पंकज उधास का ये गीत बजता है।

गजलों के दौर में अपने गीतों से अलग पहचान बनाई थी पंकज उधास ने 

ये तो बस एक बानगी है, ऐसे सैकड़ों गीत है जो पंकज उधास को हमेशा लोगों के दिलो में जिन्दा रखेंगे, आज 72 साल की उम्र में पंकज उधास एक ऐसे वतन चले गए जहाँ न कोई चिट्ठी जा सकती है ना वहां से आ सकती है, पंकज उस दौर में फनकार हैं जब गजल परवान चढ़ी हुई थी, गजलों के बड़े बड़े उस्ताद गायक, गुलाम अली, जगजीत सिंह, चन्दन दास, तलत अजीज, अहमद हुसैन- मुहम्मद हुसैन और भजन सम्राट अनूप जलोटा के दौर के बीच पंकज उधास ने अपनी अलग जगह बनाई ।

आवाज में ऐसी रूहानियत कि दिल के अन्दर तक उतर जाती 

पंकज के गीतों की कैसेट लोगों के घरों से लेकर हर गली नुक्कड़ पर पान की दुकानों, टेम्पो ऑटो में सुनने को मिल जाती थी , वे आम इंसान के बीच के कलाकार थे उनकी गायकी सादगी भरी थी, ना ज्यादा मुर्किया ना हरकतें ना आलाप लेकिन रूहानियत इतनी कि लोगों के दिल में उतर जाती ,  उन्होंने अपने गीतों के सिलेक्शन में कभी बड़ा नाम नहीं देखा, वे छोटे शायरों के गीतों को भी उतनी ही श्दिद्द्त से गाते थे जितनी शिद्दत से बड़े शायर के कलाम को , एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ परिवार पंकज उधास को श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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